हरिद्वार कुंभ 2021: ‘आयुर्वेद को विश्व पटल पर पहुंचाने का होगा काम’

November 20, 2020 | samvaad365

हरिद्वार कुंभ-2021 को भव्य, शानदार, यादगार और अनूठा बनाने के लिए कुंभ मेला अधिष्ठान बड़े पैमाने पर तैयारी कर रहा है. विशेष बात यह है कि इस बार हरिद्वार कुंभ का आयोजन ‘ग्रीन कुंभ’ की थीम पर होगा, इसमें गंगा की शुद्धता और पर्यावरण की रक्षा पर विशेष फोकस रहेगा,  इसकेलिए हरिद्वार का पौराणिक शिक्षा और आयुर्वेद के नाम से जाने जाना वाला गुरुकुल एक अनूठी पहल शुरू करने जा रहा है. कुंभ के इतिहास में पहली बार ग्रीन कुंभ की थीम पर औषधीय पौधों से रूबरू होने के साथ-साथ उनके असाध्य रोगों में काम आने वाले पोधों की विस्तृत जानकारी भी लोगों को दी जायगी. हाल ही में वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने में आयुर्वेद को लोग बड़ी संख्या में तवज्जो दे रहे हैं. आज के समय में इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर आयुर्वेद लोगों की पहली पसन्द है.

हरिद्वार में 2021 में होने वाले कुंभ मेले में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, हालांकि कोरोना महामारी के चलते कुंभ के स्वरूप पर अभी असमंजस बना हुआ है, लेकिन कुंभ मेला प्रशासन की ओर से मेले को भव्य और विराट कराने के लिए पूरी तैयारी की जा रही है, ऐसे में आयुर्वेद आचार्य सतेंद्र राजपूत का कहना है की आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है जो की अनादि एवं शाश्वत है. उनहोंने कहा की हम भी आगामी कुम्भ में आयुर्वेदिक पादप पोधों की महत्वता को विश्व पटल पर लाने का काम कर रहें है जिसमे कई विदेशी लोग आयुर्वेद से कुम्भ में परियचित होंगे.

हाल ही में अपने संस्थान में ब्रह्मकमल उगाने के बाद चर्चित हुए गुरुकुल के कुलपति रूप किशोर शास्त्री का कहना है की आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनिया की सबसे पुरानी और समग्र शारीरिक चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, आज बदलती जीवन शैली में इंसान जल्दी राहत के लिए अलग-अलग और सहज पद्धतियां अपना रहें है लेकिन असाध्य बीमारियों को जड़ से मिटाने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति रामबाण है. उनहोंने कहा की कुम्भ में आयुर्वेद के दर्शन से लोग सरोबार होंगे ,जिसके लिए आयुष मंत्रालय अपनी सहमति भी दे चूका है और हमने इसके लिए जोरशोर से तैय्यारियाँ भी शुरू कर दी गई हैं.

कुम्भ के दौरान  मेला क्षेत्र में 24 घंटे सुगंधित वातावरण बनाए रखने की भी खास तैयारी की जा रही है, कुंभ मेला क्षेत्र में अभियान चलाकर इस तरह के सुगंधित फूलों के पौधे लगाने जा रहा है, जो दिन-रात खुशबू बिखरते हैं, ऐसे में जब आयुर्वेद के महत्व को कुम्भ में प्रदर्शित किया जायगा तो यह भी देखने वाली बात होगी की दुनिया के लोग ये जान पायंगे की किस तरह आज भी आयुर्वेद भारत की पौराणिक धरोहर है.

(संवाद 365/नरेश तोमर)

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