काफलः पहाड़ का वो फल जो पेड़ से लेकर फल तक बेहद फायदेमंद है..

May 15, 2019 | samvaad365

याद कीजिए जब आप अपने घर गांव में रहे होंगे और काफल का मौसम आते हैं काफल के लिए निकले होंगे …. पेड़ पर चढ़कर काफल खाना … तपती गर्मी के बीच जंगलों में काफल के पेड़ की छांव में बैठना और नमक के साथ काफल को खाना …. वो छण भी कितना शानदार रहा होगा. अब एक बार फिर से काफल का सीजन आ चुका है. जाहिर सी बात है इस पोस्ट को पढ़कर कोई भी अपने पुराने दिन जरूर याद करेगा …. जो काफल के लिए जंगलों में जाते थे …. और आज उस काफल से दूर हैं. काफल पहाड़ों में जितना लोकप्रिय है उतना लाभदायक फल भी है. उत्तराखंड के जंगलों में काफल काफी संख्या में पाया जाता है. अब आपने काफल को देखा तो होगा ही काफल देखने में शहतूत के जैसा लगता है लेकिन होता नहीं है. इसका स्वाद खट्टा और मीठा दोनो होता है या फिर मिश्रित होता है. जो जानकारियां हम आपको दे रहे हैं वो जानना भी आपके लिए जरूरी है. काफल का यह पौधा 1300 मीटर से 2100 मीटर यानी कि 4000 फीट से 6000 फीट तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पैदा होता है. यह अधिकतर हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय, और  नेपाल में पाया जाता है. इसे बॉक्स मर्टल और बेबेरी भी कहा जाता है. उत्तराखंड में इन दिनों यात्रा का सीजन चल रहा है और हर साल काफल भी इन्हीं दिनों में होता है जिससे कि अब कई जगहों पर लोग इसका इस्तेमाल आमदनी के लिए भी करते हैं. जब आप उत्तराखंड भ्रमण पर हों तब आपको ऐसे ही कई युवा अपना मौसमी रोजगार इन काफलों के सहारे चलाते हुए नजर जरूर आ जाएंगे.

अब ये तो थी काफल से जुड़ी कुछ खास बातें अब हम आपको बताते हैं कि आखिर काफल को आप क्यों खाएं. ये सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसको खाने से कई फायदे भी हैं क्योंकि इसके कई चीजें होती है.

काफल एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है.

इसका फल अत्यधिक रस-युक्त और पाचक होता है.

फल के ऊपर मोम के प्रकार के पदार्थ की परत होती है जो कि पारगम्य एवं भूरे व काले धब्बों से युक्त होती है. यह मोम मोर्टिल मोम कहलाता है तथा फल को गर्म पानी में उबालकर आसानी से अलग किया जा सकता है. यह मोम अल्सर की बीमारी में प्रभावी होता है.

इसके अतिरिक्त इसे मोमबत्तियां साबुन तथा पॉलिश बनाने में उपयोग में लाया जाता है.

इस फल को खाने से पेट के कई प्रकार के विकार दूर होते हैं.

मानसिक बीमारियों समेत कई प्रकार के रोगों के लिए काफल काम आता है.

इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिश तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए अत्यधिक उपयोगी है.

इसके पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आँख की बीमारी तथा सरदर्द में सूँधनी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है.

इसके पेड़ की छाल तथा अन्य औषधीय पौधों के मिश्रण से निर्मित काफलड़ी चूर्ण को अदरक के जूस तथा शहद के साथ मिलाकर उपयोग करने से गले की बीमारी, खाँसी तथा अस्थमा जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है.

दाँत दर्द के लिए छाल तथा कान दर्द के लिए छाल का तेल अत्यधिक उपयोगी है.

काफल के फूल का तेल कान दर्द, डायरिया तथा लकवे की बीमारी में उपयोग में लाया जाता है. इस फल का उपयोग औषधी तथा पेट दर्द निवारक के रूप में होता है.

यानी आपको जो बातें हमने बताई हैं वो ये साफ कर देती हैं कि काफल का जिक्र जितना आपको उत्तराखंड से जोड़ देता है उतना ही इसका उपयोग भी किया जा सकता है. कुल मिलाकर ये फल तो एक है लेकिन पेड़ की छाल से लेकर फल तक कई बीमारियों की रामबांण औषधि भी है.

”काफल के बारे में ये जानकारी सभी को दें और इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें.”

संवाद 365/ काजल

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