मकर सक्रांति, ग्रहण,अमावस्या और पूर्णिमा पर गंगा स्नान या अन्य पौराणिक का तीर्थ में शास्त्रीय विधि से स्नान करने का विशेष महत्व है.
भविष्य पुराण में महर्षि वेदव्यास का कथन है कि मकर सक्रांति के दिन गंगा ,सिंधु ,सरस्वती ,यमुना ,गोदावरी ,नर्मदा ,कावेरी ,गया प्रयाग और पुष्कर तीर्थ में सप्तनीक विधिवत स्नान, तर्पण व दान करने से करने वाले पुण्यात्मा व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है, इस पर्व को लेकर लोगों ने तैयारी शुरू कर दी है, पूर्व पर गंगा स्नान व खिचड़ी का दान किया जाता है, तिलकुट, चूड़ा, गुड़ का बाजार अपने परवान पर है, बाजारों की रौनक बढ़ गई है, बाजार में कुछ ज्यादा ही चहल पहल देखने को मिल रही है, बाजारों में लाई चूड़े के साथ-साथ मुमफली रेवड़ी गज्जक की खरीदारी जोरों पर है मकर सक्रांति स्नान के साथ साथ राशियों पर भी क्या है विशेष देखिये नरेश तोमर की इस खास रिपोर्ट में:-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में मिल गई थीं, इसीलिए मकर संक्रांति को गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है, मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल में स्नान के बाद सूर्य उपासना, जप, अनुष्ठान, दान-दक्षिणा देते हैं.
(संवाद 365/नरेश तोमर)
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