कोटली गाँव की लता देवी ने नहीं देखी खुशियां, सिस्टम ने भी नहीं दिया साथ

May 6, 2021 | samvaad365

रूद्रप्याग जनपद के भरदार क्षेत्र के कोटली गाँव की लता देवी के भाग्य में मानों विधाता ने खुशी ही न लिखी हो।  बीस वर्ष पूर्व एक बेटी ने लता देवी की कोख से जन्म लिया तो घर में खुशियां आई थी लेकिन क्या पता था ईश्वर ने खुशी की बजाय इन्हें जीवन भर के लिए दर्द की पोटली सौंप दी है वह बच्ची मानसिक रूप से विकलांग और विक्षित हो गई। बेरोजगारी और घोर गरीबी के कारण बेटी का कई ईलाज नहीं हो सका।  तीन वर्ष बाद लता के घर बेटा पैदा हुआ तो वह भी पूरी तरह से मानसिक रूप से विकलांग पैदा हो गया ।

एक कमरे की कच्ची झोपड़ी में लता देवी के दर्दों की फेरिस्त इतनी लम्बी है कि कम होने का नाम नहीं ले रही है। पति टीका राम मंद बुद्धि का है जो लोगों के रहमोकरम पर जीवन यापन कर रहे हैं जबकि लता देवी ध्याड़ी-मजदूरी करके अपने दो विकलांग बच्चों के साथ भारी परेशानियों को झेलकर लालन पालन कर रही है। लेकिन वे खुद भी अक्सर बीमार रहती हैं। दो-दो विकलांग बच्चों का दर्द और ऊपर से घोर गरीबी और बेरोजगारी ने लता देवी के जीवन को इतना कष्टमय बना दिया कि उसे खुशियां देखें सालों बीत गए। अपनी सामथ्र्य के अनुसार कई अस्पतालों में दोनों बच्चों का ईलाज तो करवाया लेकिन बााद में पैसों के अभाव में ईलाज न हो सका। मकान क्षीर्ण-शीर्ण होने के कारण बरसात होते ही घर के अंदर तालाब बन जाता है। खुद भी बीमार रहने से लता देवी के विकलांग बच्चों का लालन पालन कठिन हो गया है। लता कहती है कई नेता और जनप्रतिनिधि आ गए हैं लेकिन उनकी स्थिति पर किसी ने आज तक ध्यान नहीं दिया ।

 

भले ही गरीबों के सिर ढकने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना,  इन्द्रिरा गांधी आवास योजना सहित अनेकों योजनायें संचालित कर रखी है हो लेकिन ये योजनायें आखिर सरकारी कार्यालयों से लता देवी की चैखट तक आखिर क्यों नहीं पहुँच पाती है यह बड़ा सवाल है। जबकि विकलांक विक्षित बच्चों को ठीक करने को लेकर भी सरकारें नाना प्रकार की योजनायें संचालित कर रही है मगर लता देवी को भाग्य ने तो जख्म दिए हैं मगर नाकारा सिस्टम और निकम्मे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ने भी इनके दर्दो को और कुरेदा है। सवाल उन तमाम गैर सरकारी संगठनों पर भी है जो गरीबों, विकलांगों  और असहाय परिवारों  के नाम पर सरकारी योजनाओं के वारे न्यारे तो करते हैं मगर वास्तविक जरूरत मंदों की मदद नहीं करते हैं।

संवाद365 , कुलदीप राणा आजाद

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