भारत के अंतिम सीमा पर स्थित इस गांव में है महादेव का अद्भूत तीर्थ स्थल

January 21, 2019 | samvaad365

भारत को एक धार्मिक देश के रुप में दुनिया भर में जाना जाता है। यहां देश के हर कोने में भगवान का वास होता है। धर्म और आस्था पर विश्वास रखने वाले इस देश में हर स्थान पर तीर्थ स्थल मौजूद हैं। वहीं इस देश का ही एक ऐसा राज्य है  जिसे देवों की भूमि के नाम से जाना जाता है। इस राज्य का नाम है देवभूमि उत्तराखंड। उत्तराखंड में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने भगवान के दर्शन करने आते हैं।  उत्तराखंड एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां देशभर से ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने कोने से लोग यहां भगवान की पूजा-अर्चना करने आते हैं।

देवभूमि में वैसे तो भगवान हर स्थान पर विराजमान हैं, जिसकी जानकारी देश दुनिया के लगभग हर व्यक्ति को है। केदारनाथ मंदिर से लेकर नैनीताल, गंगौत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, हरिद्वार, ऋषिकेश, हेमकुंड साहिब जैसे कई तीर्थस्थल देवभूमि को एक आध्यात्मिक राज्य बनाने का कार्य करते हैं। लेकिन कुछ तीर्थस्थल ऐसे भी हैं जिसके बारे में लोग आज भी जागरुक नहीं हैं जैसे टिमरसैंण (टिमरसेम) नीति में एक ऐसी अद्भूत गुफा है जहां भगवान महादेव का एक भव्य रुप विराजमान है।

जब लोग इन घाटियों में होते है अस्थानीय लोग इस गुफा में दर्शन के लिये जाते हैं पर जाड़ों में लोग निचले हिस्सों में आ जाते हैं तब यहां कोई नहीं रहता और ये गुफा बर्फ से ढक जाती है बर्फ का शिव लिंग बन जाता है  लेकिन इस स्थल की जानकारी इस रूप में  किसी को भी न होती अगर उत्तराखंडी लोकगायक दरबान नैथवाल इस तीर्थ तक ऑफ सीजन में न पहुंचते। टिमरसैंण नीति गांव भारत का एक ऐसा गांव है जो भारत की अंतिम सीमा पर लगता है इस गांव की सीमा के खत्म होते ही चीन बॉर्डर की शुरुआत हो जाती है। इस गांव में मुख्य रुप से भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं जो गर्मियों के समय पर नीतिभेली में रहते हैं और शरद ऋतु के शुरू होते ही गांव के निचले हिस्सों में जाकर रहने लगते हैं।

टिमरसैंण नीति में स्थित इस भव्य शिवलिंग की जानकारी सबसे पहले लोकगायक दरबान नैथवाल द्वारा  लोगों तक पहुंचाई गई। दरअसल, दरबान नैथवाल अक्सर अपने आने वाले गीतों की शूटिंग के लिए उत्तराखंड की वादियों  का रुख करते हैं ताकि वह खूबसूरत दृश्यों के जरिए अपने गीतों को एक नया रुप दे सकें। दरबान नैथवाल दस फरवरी 2016 को टिमरसैंण नीति के इस गांव में अपने एक गीत की शूटिंग करने अकेले ही पहुंचे थे, दरबान नैथवाल की खासियत है कि वह एक गायक होने के साथ-साथ फोटोग्राफी करने का भी शौक रखते हैं जिस कारण वह अपने गानो की शूंटिग ज्यादातर अकेले ही करते हैं। जब वह इस गांव में स्थित एक गुफा में पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर वह स्तब्ध रह गए। उस गुफा में महादेव का लिंग जिस रूप में  विराजमान था,  उस रूप में पहले कभी किसी ने नही देखा वैसे तो  शिवलिंग और गुफा की खास बात ये थी कि वहां स्थित शिवलिंग पर लगातार जल की वर्षा होती है ,   दरबान नैथवाल ने बताया ये कुदरत का करिश्मा है।

इस गुफा में शिवलिंग का जो जलाभिषेक हो रहा है उसका पानी कहां से आ रहा है.. गुफा के आसपास कोई ऐसी जल निकासी नहीं मिली जिससे पता चल सकें कि आखिर शिवलिंग पर पानी की वर्षा कहां से हो रही है। जहां सामान्य मौसम में गुफा में स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक होता है तो वहीं सर्दियों में गुफा से जलाभिषेक करने वाला ये पानी एक सफेद दूध की बर्फ में बदलकर कई शिवालिंग बना देता है, सफेद बर्फ के कई शिवलिंगों को देखकर ऐसा लगता है जैसे टिमरसैंण नीति की इस गुफा में अमरनाथ मंदिर के बर्फानी बाबा विराजित हो गए हों। ये पौराणिक शिवलिंग बेहद खूबसूरत और अद्भूत लगता है।  गुफा को देख कर बर्फीले कैलाश जिसमें महादेव बर्फ के लिंगों में परिवर्तित दिखाई देते है उसकी तरह लगते हैं जो अदभूत नजारा लगता है।

शरद ऋतु के समय जहां इस गुफा का नजारा भव्य हो जाता है वहीं सावन (श्रावण) के महीने में श्रद्धालु विशेष त्योहारों जैसे नन्दा अष्टमी, नन्दाद्योरा पर मां भगवती नन्दा पर्वस्नान के लिए और सबसे महत्वपूर्ण विशालकाय शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने के लिए यहां डोली सहित पहुंचते हैं। दरबान नैथवाल के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि उन्होंने इस भव्य, अद्भूत शिवलिंग की जानकारी अपनी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के जरिए जनसमान्य तक पहुंचाई। उनकी इस खोज के बाद इस स्थल को धार्मिक पर्यटन स्थल की मान्यता मिल चुकी है इतना ही नहीं इस साल की दस फरवरी से इस टिमरसैंण नीति शिवलिंग की भव्य धार्मिक यात्रा का आगाज किया जाएगा।

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नीति पास जिला चमोली/ काजल   

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