हरिद्वार: श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। सनातन परंपरा में पशुओं को भी पूजने की परंपरा है, नागों की पूजा का विशेष महत्व है, नाग पंचमी का त्योहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि श्रावण महीने में जबरदस्त बारिश होती है, सांप अक्सर अपने बिल से बाहर आते हैं इसे रोकने के लिए नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सांपों को दूध पिलाया जाता है.
हरिद्वार में 400 वर्ष पुराना मन्दिर है, मान्यता है कि यहां पर नागपंचमी को नाग देवता की पूजा करने से कृपा मिलती है। पुजारी रवि भानु का कहना हे की जिनकी कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उन्हें इस दिन पूजन कराने से इस दोष से छुटकारा मिल जाता है.
ज्योतिश आचार्य पंडित गिरिधर शास्त्री बताते हैं कि एक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को कालिया नाग का वध किया था, इसके साथ ही समुद्र मंथन में वासुकि नाग को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था, और मंथन से निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर समस्त लोकों को रक्षा की. नागो का महत्व पौराणिक होने के कारण से भी नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।
नाग पंचमी के दिन भगवान महादेव और पार्वती की विधि-विधान से पूजन करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही महादेव का रुद्राभिषेक करने के बाद नाग-नागिन की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर दूध, अक्षत, फूल, चंदन और मीठा अर्पित करने से भी जीवन में सर्प दोष नहीं होता।
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संवाद365/नरेश तोमर