हरिद्वार मे है नारायणी शिला, जहां पितृ तर्पण का है विशेष महत्व

September 2, 2020 | samvaad365

वैसे तो पितृ पक्ष में कहीं भी श्राद्ध किया जा सकता है, लेकिन धर्मनगरी हरिद्वार के नारायणी शिला पर तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में भी ऐसा उल्लेख मिलता है, हिन्दू समाज में मान्यता है कि पितृपक्ष में 16 दिन तक पितृ पृथ्वी पर आते हैं.  इसलिए इन दिनों में लोगों को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे पितृगण नाराज हों, हरिद्वार के मायापुर स्थिति देवपुरा में स्थापित प्राचीन नारायणी शिला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य पंडित मनोज कुमार शास्त्री ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में नारायणी शिला पर पितरों के निमित्त कर्मकांड करने से उनको मुक्ति मिलती है.

बिहार के गया को सबसे बड़ा पितृ तीर्थ माना जाता है. वहीं, हरिद्वार में यही महत्व नारायणी शिला मंदिर का भी है. मान्यता है कि नारायणी शिला मंदिर पर पिण्डदान और श्राद्ध कर्म करने से गया का पुण्य फल मिलता है.

पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते गंगा तट पर न जाकर घर पर ही पितरों को जलदान करें। भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक पितृपक्ष रहता है. इस बार पितृपक्ष दो सितंबर से 17 सितंबर तक हैं. मान्यता है कि पितृ तर्पण न करने से पितृ दोष लगता है। ऐसी स्थिति में परिजनों को धन, सेहत और अन्य कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है इसलिए खुशहाली के लिए पितृ पूजा अवश्य करे.

(संवाद 365/नरेश तोमर )

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