नरेंद्रनगर: भगवान घंटाकर्ण का भव्य मंदिर तैयार, धाम के रूप में किया जाएगा विकसित

November 13, 2020 | samvaad365

नरेंद्रनगर: लगभग 8 साल तक चले भगवान घंटाकर्ण मंदिर का निर्माण कार्य अब पूर्ण हो चुका है,
मंदिर में 3 दिनों तक हवन, पूजन,अर्चना के साथ अनुष्ठान का कार्य प्रारंभ है, जो 14 नवंबर को संपन्न हो जाएगा,मंदिर परिसर में रात्रि को सैकड़ों श्रद्धालुओं की रुकने की व्यवस्था के साथ भंडारे का भी आयोजन है.

मीलों किलोमीटर खड़ी पैदल चढ़ाई चढ़ते हुए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें मंदिर की ओर जाते दिखाई दे रही हैं, जो अटूट आस्था का प्रतीक है.

मंदिर में पूजा-अर्चना में शामिल होने क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल,क्षेत्र के पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत, देवप्रयाग के विधायक विनोद कंडारी,ब्लाक प्रमुख राजेंद्र भंडारी, पालिका परिषद मुनी की रेती ढाल वाला के अध्यक्ष रोशन रतूड़ी,उप जिलाधिकारी युक्ता मिश्र सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु, अधिकारी व कर्मचारी पैदल चलकर माथा टेकने भगवान घंटाकरण मंदिर के द्वार पहुंचे.

मंदिर समिति के अध्यक्ष विजय प्रकाश बिजल्वाण ने सभी श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया और उनकी खुशहाली की कामना भगवान घंटाकर्ण से की. वहीं क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि देश के विभिन्न भागों में पूजित घंटाकर्ण मंदिर “घंडियाल डांडा” को एक धाम के रूप में विकसित कर स्थापित किया जाएगा,उनहोंने कहा की मंदिर के लिए सड़क स्वीकृत हो चुकी है जिस पर जल्द निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा और पेयजल पाइप लाइन भी मंदिर के लिए बिछाई जाएगी. पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत ने भी घंटाकर्ण मंदिर को एक धाम के रूप में स्थापित करने की मांग प्रदेश सरकार से की है

बता दें कि :- पट्टी-क्वीली,पालकोट,दोगी,धमांदस्यूं,कुंजणी व धारअक्रिया सहित 6 पट्टियों की 143 ग्राम पंचायतों के मध्य स्थित “घंटाकर्ण मंदिर” अब जीर्णोद्धार के बाद नये वैभवशाली स्वरूप में प्रदर्शित हो रहा है.

विगत 15 अप्रैल 2013 को भूमि पूजन के साथ मंदिर के नव निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया था, जो अब भव्य मंदिर के रूप में तैयार हो गया है.

नए स्वरूप में बने भव्य मंदिर के “गर्भ गृह” की पूजा अर्चना के लिए पहली बार बद्रीनाथ, केदारनाथ,गंगोत्री तथा यमुनोत्री के चारों धामों से मिट्टी व जल लाया गया, लाई गई मिट्टी व गंगाजल का उपयोग मंदिर गर्भगृह के शुद्धिकरण में किया जा रहा है, मंदिर में तीन दिवसीय हवन, पूजन,अर्चना के साथ तीन दिवसीय अनुष्ठान हो रहा है.

मंदिर का गर्भ गृह श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिया गया है. मंदिर में पूजा/अर्चना के क्रियाकलापों की खास बात यह है कि यह सब भगवान घंटाकर्ण के आदेशों के अनुरूप किया जा रहा है माना जाता है की भगवान घंटा कर्ण अपने पश्वा “कुलबीर सजवाण” पर अवतरित होते है. और जो आदेश उनके द्वारा दिया जाता है, उसका पालन किया जाता है,

पहाड़ के ऊंचे स्थान पर गजा स्थित है , यहां(गजा) से घंटाकर्ण मंदिर 9 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पर स्थित है,जहां अभी तक न तो पानी की पाइपलाइन बिछ पायी है और ना सड़क की कोई सुविधा है, मगर इसे भक्तों की आस्था व घंटा कर्ण की महिमा ही कहेंगे कि बड़ी संख्या में क्षेत्र के ही नहीं देश के अन्य हिस्सों से भी बुजुर्ग श्रद्धालु भी बगैर थके ,बगैर रुके घंटा कर्ण के दर्शनार्थ माथा टेकने और मन्नतें मांगने मंदिर पहुंचते हैं.

मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें चढ़ाई चढ़ते पैदल मार्ग को नापते दिखाई दे रही हैं।
नए मंदिर के वैभवशाली स्वरूप को देखने व मंदिर में माथा टेकने और मन्नतें मांगने को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. मान्यता है कि सच्चे श्रद्धालुओं की भगवान घंटाकर्ण मन्नतें पूर्ण करते हैं, वे शिव की तरह कृपालु और दयालु हैं.

भगवान घंटाकर्ण को आसाम,केरल,पश्चिमी बंगाल, गुजरात,राजस्थान आदि प्रांतों में भी इष्ट देव के रूप में पूजा जाता है. घंटाकर्ण मंदिर व्यवस्था और विकास समिति और श्रद्धालुओं की अपार आस्था व श्रद्धा भाव के सहयोग से 66 लाख से अधिक लागत का मंदिर बनकर तैयार हो गया है, अभी और भी काम बाकी है, पूरी लागत डेढ़ करोड़ से अधिक आने की संभावना है,

नए वैभव शाली स्वरूप में निर्मित इस मंदिर में प्रयुक्त की गई देवदार की लकड़ियों पर विशेष नक्काशी के लिए जौनसार चकराता से प्रख्यात नामी-गिरामी कारीगरों को बुलाया गया था, इन्हीं कारीगरों द्वारा बद्रीनाथ धाम और धारी देवी मंदिर में भी लकड़ियों पर बेहतरीन नक्काशी का कार्य किया गया है.

(संवाद 365/वाचस्पति रयाल)

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