चमोली जनपद के सबसे बड़े विकासखण्ड का एक मात्र राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नागनाथ पोखरी सरकारों की बेरूखी का दंश झेल रहा है. दो दशक पहले अस्तित्व में आए इस कॉलेज में आजतक महत्वपूर्ण विषयों की तैनाती नहीं हो पाई है. इकोनोमिक्स, मेथोमेटिक्स, अंग्रेजी और हिन्दी जैसे विषयों के अध्यापक न होने के कारण यहां अध्यनरत छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है. आलम यह है कि इस वर्ष यहां बीएसी में अध्यनरत 75 छात्रों में केवल 3 छात्र ही पास हो पाये हैं. जबकि बीए की कक्षा में भी 200 छात्रों में केवल 100 छात्र ही पास हुए हैं. इन आँकड़ों से आसानी से समझा जा सकता है कि छात्रों के भविष्य के साथ सरकारें कैसा खिलवाड़ कर रही है.
इस बदहाल स्थिति से तो पहाड़ की उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के दावे करने वाली सरकारों की पोल तो खुल ही रही है लेकिन इस गम्भीर मुद्दे पर यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी इनके नाकारेपन को दर्शा रही है. महा विद्यालय के प्रभारी प्रचार्य संदीप कुमार जुयाल का कहना है कि रिक्त विषयों के अध्यापकों की तैनाती के लिए विज्ञप्ति निकाली जा चुकी है किन्तु योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाया. उधर छात्र सरकार की इस व्यवस्था को लेकर आक्रोशित हैं.
रूद्रप्रयाग, चमोली / कुलदीप राणा
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