विश्व में भक्ति और शांति का संदेश दे रही हैं देवभूमि उत्तराखंड की बेटी राधिका जी केदारखंडी

June 23, 2020 | samvaad365

उत्तराखंड की भूमि जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, यहां के कण कण में भगवान का वास माना जाता है. देवभूमि उत्तराखंड की इस पावन धरती पर अनेक महान विभूतियों ने जन्म लिया है. जो इस दुनिया को भक्ति और शांति के मार्ग पर ले गए हैं. इन्ही विभूतियों में से एक हैं पूज्या राधिका जी केदारखण्डी. जो अपनी गौं कथा, राम कथाओ के द्वारा आज पूरे देश में भक्ति और शांति का पाठ पढ़ा रही है. राधिका जी केदारखण्डी का जन्म 17 जनवरी 1994 को रूद्रप्रयाग जिले के ग्राम-जलई-सुरसाल के एक छोटे से गांव “सदेला” की पवित्र गौशाला हुआ. यह गांव भगवान केदानाथ के क्षेत्र में आता है. इनकी माता का नाम रामेश्वरी देवी और पिता का नाम हरिशंकर गोस्वामी है.माता पिता के द्वारा पूज्या राधिका जी केदारखण्डी को “प्रियंका” नाम मिला. जब राधिका जी मां के गर्भ में थी तो उनकी मां मुंबई से उत्तराखंड आ गयी थी. उत्तराखंण्ड आने से पहले इनके माता पिता मुंबई में रहते थे. इनके पिता हरिशंकर गोस्वामी का गोरेगांव में हीरे का कारखाना था. आपको बता दें जब राधिका जी 3 वर्ष की थी तब सदेला गांव के अंतर्गत घनघोर जंगल के बीच में नागेश्वर महादेव, मां नंदा व नागेश्वरी गंगा का उदगम स्थल पर 84 साल के एक संत रहते थे. जिनका नाम “स्वामी नंद ब्रह्मचारी” था. स्वामी नंद ब्रह्मचारी से राधिका जी के पिता परिचत थे. इन दिनों संत अवस्वस्थ चल रहे थे.11 फरवरी 1998 की रात्रि को स्वामी नंद ब्रह्मचारी ने अंतिम सांस लेते वक्त राधिका जी केदारखंडी के पिता से वचन लिया कि वे रह जाए. जिसके बाद राधिका जी के पिता ने भी बिना विचार किये संत को वचन दे दिया कि वे अब आज से ये जीवन आपका है. स्वामी नंद ब्रह्मचारी रात्र को राधिका जी केदारखंडी के पिता की गोद में प्राण त्याग दिया. संत की समाधि अभी भी इस स्थान पर बनी हुई है. संत की मृत्यु होने के बाद राधिका जी के पिता हरिशंकर गोस्वामी ने 2000 में रूद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत ही कोटेश्वर महादेव में महंत 108 शिवानंदगिरी जी महाराज से 31 वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण की और महंत के प्रथम शिष्य बन गये.जिसके बाद उनको हरिहरानंद गिरी महाराज का नाम मिला.स इसके साथ ही उन्होने अपना घर और संसारिक मोह माया को त्याग दिया. जिसके बाद वो इस जगह पर भगवान नागेश्वर व मां नंदा देवी के पुजारी के रूप में संत को दिया वचन निभाते हुए आश्रम की सेवा कर रहे हैं. इस स्थान की खास बात यह है कि यहां पर वन के देवता “भूमियाल देवता” और वन देवियों की पूजा भी की जाती है. राधिका जी भी 3 वर्ष की उम्र से ही माता-पिता और दोनों भ्राताओं के साथ इस आश्रम में रह रही हैं. आश्रम में रहने के कारण बचपने से ही उनका ध्यान भगवान की भक्ति तरफ लगने लगा था. आपको बता दें राधिका जी के पिता ने मुंबई के गोरेगांव से लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर से संगीत की शिक्षा प्राप्त की. बचपन से ही परिवार में संगीत और भजन के माहौल के कारण राधिका जी और उनके दोनों भाईयों का रूझान संगीत की तरफ होने लगा.राधिका जी और उनके भाईयों ने अपने पिता से संगीत की शिक्षा ग्रहण की. समय के साथ-साथ आपके पिताजी संगीत व भजन का कार्यक्रम करने लगे. राधिका जी को पहली शिवपुराण कथा में संगीत और भजन का कार्यक्रम ब्रदीनाथ में जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज के सानिध्य में मिला तब राधिका जी की उम्र केवल 7 साल थी. तब से लेकर अब तक वो अनेक जिलों में “कोटेश्वर महादेव साउंड और नागेश्वरी भजन संध्या के नाम से प्रसिद्ध हैं.

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राधिका जी की शुरूवाती शिक्षा 1998 में शिशु मंदिर कंडारा से हुई. इसके बाद 2012 में राधिका जी ने 12 वीं की शिक्षा राजकीय इंटर कॉलेज कंडारा से पूर्ण की और वर्ष 2017 में पी०जी कॉलेज अगस्त्यमुनि में संस्कृत से एम०ए की डिग्री प्राप्त की. शिक्षा के साथ साथ राधिका जी ने पिताजी की प्ररेणा से श्रीमद् भागवत, श्रीरामचरितमानस आदि ग्रंथों का अध्ययन भी किया. इसी कारण राधिका जी शिक्षा एवं ग्रथों के साथ-साथ घर के संपूर्ण कार्यों में निपुण हैं. साल 2013 में राधिका जी को रूद्रप्रयाग में गोपाल गोलोक धाम में पूज्य गोपालमणि महाराज जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। महाराज जी का आशीर्वाद मिला, गौमाता के प्रति श्रद्धा और प्रभु की कथाओं एवं गौकथा के प्रति रूझान को देखकर महाराज जी ने आगे कथाओं को गाने के लिए मार्गदर्शन कराया.आगे चलकर संतों के आशीर्वाद, प्रभु के आशीर्वाद व माता-पिता के आशीर्वाद से गौमाता की कृपा से राधिका जी ने पहला प्रवचन 16 वर्ष की उम्र में एक दिवसीय गौमाता की महिमा पर किया था.ग्राम सुरसाल से ही राधिका जी को गद्दी प्राप्त हुई थी। तभी से राधिका जी के पिता के द्वारा आपको “पूज्या राधिका जी केदारखण्डी” नाम मिला. आगे चलकर राधिका जी ने अनेक संतों के सानिध्य में बड़े-बड़े मंचों में अनेक गौ कथायें तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस और वाल्मीकि की रामायण का पाठ किया. जिसका कई चैनलों पर प्रसारण भी किया गया. अभी तक राधिका जी कई गौ कथाएं और श्रीरामकथा कर चुकी हैं. राधिका जी की कथायें, प्रवचन एवं भजन का प्रसारण सामुदायिक रेडियो 90.8 एफ०एम० “मंदाकिनी की आवाज”, आध्यात्म टीवी चैनल, बाबा प्रोडेक्शन यूट्यूब चैनल एवं स्वयं का धेनू वर्षा यूट्यूब चैनल पर भी किया जाता है. इसके साथ ही राधिका जी को “मंदाकिनी की आवाज कल्याण सेवा समिति” के द्वारा एवं “नंदा देवी कौथिग” आदि के द्वारा भी सम्मानित किया गया है.कथाओं के साथ-साथ राधिका जी ने गौमाता के गोबर और हिमालय की अलग-अलग जड़ी-बूटियों को मिलाकर धूप तैयार की है. जिसका नाम धेनु वर्षा रखा गया. अभी राधिका जी गोबर से अन्य वस्तुएं बनाने के प्रयास में लगी हुई हैं.अभी कुछ शोध पूरी हो चुकी हैं, जैसे गोबर से दिया, गोबर गणेश, गोबर से राखियां, गोबर से समिधा/लकड़ी, गोबर से माला, गोबर से मूर्तियां आदि.धेनु वर्षा के नाम पर ही राधिका जी का अब स्वयं का यूट्यूब चैनल भी है। जिसके माध्यम से लाइव कथाओं का प्रसारण किया जाता है.राधिका जी के सलाहकार नवीन जोशी हैं. राधिका जी का मुख्य उद्देश्य है कि देवभूमि उत्तराखंड की महिमा, धार्मिक स्थलों व संस्कृति के विषय में पूरे विश्व में प्रचार-प्रसार करना है.

अमित गुसांई/संवाद365

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