जोशीमठ : साइकिल से माणा पास पार कर राहुल मेहता नें रचा इतिहास, 3 दिनों में की यात्रा पूरी

July 23, 2021 | samvaad365

सीमांत जनपद चमोली के पांडुकेशर निवासी और माउंटेन ट्रैक्स के सीईओ राहुल मेहता नें एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। उन्होंने तीनों दिनों में कुल 52 किमी का सफर साइकिल से करके दुनिया का दूसरा सबसे उच्चतम सडक मार्ग माणा पास जो 18399 फीट की ऊचाई पर स्थित है पार कर इतिहास रच दिया है। ख़राब मौसम, बड़े हुवे नाले और ग्लेशियर को विपरीत परिस्थितियों में पार करते हुये राहुल साइकल से देव ताल होते हुवे माना पास पहुँचे। पहले दिन घसतोली में आईटीबीपी के केम्प में रात गुजारी। यहाँ पर आईटीबीपी के अधिकारियों एवं जवानो ने राहुल का दिल खोल कर स्वागत किया।

 

साइकिल से माणा पास पार कर बद्रीनाथ पहुंचे राहुल मेहता नें कहा की साइकलिंग स्पोर्ट में उनकी रूची बचपन से ही थी और इस साइकल एक्सपीडिसन या यात्रा ( माना पास ) करने का मुख्य कारण साइक्लिंग स्पोर्ट्स और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। उनका कहना है कि वे माणा पास की यात्रा साइकिल से सफलता पूर्वक करने पर बेहद खुश हैं साथ ही कहतें है कि आगे भी इस तरह के साहसिक खेल को प्रोत्साहित करने के लिए वे अपनी टीम के साथ सदैव तत्पर रहेगी। राहुल मेहता के माणा पास पार करनें पर उनके गांव पांडुकेशर, बामणी, बद्रीनाथ, माणा के ग्रामीणों और ट्रैकिंग से जुड़े लोगों नें उन्हें बधाइयाँ दी। चेज हिमालय के सीईओ विमल मलासी और गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली, रूपकुण्ड ट्रैकिंग एजेंसी के सीईओ देवेन्द्र पंचोली नें राहुल की सफलता पर बधाई दीगौरतलब है कि वर्ष 2019 में राहुल को देहरादून में आयोजित साइकल प्रतियोगिता “ रोड टू चमसरी” में द्वितीय स्थान आने पर सम्मानित भी किया गया था जबकी पिछले साल बेहद कठिन, रहस्य, रोमांच और चुनौतियों से भरी है दुर्गम गुप्तखाल ट्रैक को सफलता पूर्वक पार करनें के बाद राहुल मेहता का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो गया था और उन्हें सम्मानित भी किया गया था।

 

बैकुंठ धाम बद्रीनाथ और पांडुकेशर के निवासी राहुल मेहता माउंटेन ट्रैक्स के सीईओ हैं। साहसिक पर्यटन के लिए जाने जाते हैं, वे एक शानदार बाइकर्स, साइकिलिस्ट, फोटोग्राफर और डाॅक्यूमेंट्री मेकर भी है। दुर्गम पहाडों की खाक छानना और चुनौतियां स्वीकार करना इनका शगल रहा है। वीरान पहाडों में इन्होंने रोजगार की उम्मीदों को पंख लगायें हैं। ये विगत 10 सालों से ट्रैकिंग के जरिए पर्यटकों को चमोली ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटक स्थलों केदारकांठा, दयारा बुग्याल, तुंगनाथ, रूद्रनाथ, संतोपथ, क्वारीपास, लार्ड कर्जन रोड, मद्दमहेश्वर, सप्तकुंड, वेदनी- आली बुग्याल, रूपकुण्ड, बंडीधूरा की सैर करातें हैं। इन्होंने 10 सालों में न केवल चमोली के पर्यटन स्थलों और गुमनाम पर्यटक स्थलों को देश दुनिया में नयी पहचान दिलाई अपितु अपनें पहाड़ में रहकर रोजगार के अवसर भी सृजित किये।

संवाद365,डेस्क

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