रूद्रप्रयाग में राकेश थपलियाल पहाड़ के फल-फूलों के जरिए स्वरोजगार की ऐसी मिशाल पेश कर रहे हैं कि न केवल पहाड़ के उत्पादों को देश प्रदेश तक पहुँचा रहे हैं बल्कि अपने साथ दो एक दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। मिनी औ़द्योगिक आस्थान भटवाड़सैंण में राकेश थपलियाल द्वारा पहाड़ के फल-फूलों का जूस बनाकर देश प्रदेश तक पहुँचाया जा रहा है। दरअसल राकेश थपलिया द्वारा वर्ष 2008 से यहां बुराँश, माल्टा, आँवला, पुदीना, एलोवेरा, लीची आदि का जूस व आम, लहसून, तिमला, लिंगड़ा, बेडू, कटहल आदि पहाड़ के उत्पादों का अचार बनाकर यहां आने वाले तीर्थाटनों और पर्यटकों को बेचा जाता हैं जो उन्हें बेहद पसंद भी आता है।
हिमाल्टो फू्रड प्रोडेक्ट के नाम से राकेश थपलियाल इस कुटीर उद्योग को चला रहे हैं और पिछले 12 वर्षों से इस कार्य में उन्होंने अपने साथ एक दर्जन से अधिक महिलाओं को रोजगार दे रखा है। हालांकि पिछले वर्ष लाॅकडाउन के कारण उन्हें भारी घाटा झेलना पड़ा बावजूद वे लगातार इस कार्य को कर रहे हैं। हालांकि इस वर्ष भी वे कोरोना की दूसरी लहर से भी भयभीत हैं किन्तु उनके द्वारा उत्पादित सामग्री की डिमांड स्थानीय स्तर पर भी खूब है। पहाड़ों में रोजगार के अनेक संसाधन उपलब्ध हैं। यहां के औषधीय गुणों से भरपूर फल-फूल, जड़ी बूटी से ही बेहतर रोजगार उपलब्ध हो सकता है लेकिन सरकारों द्वारा यहां के प्राकृतिक संसाधनों पर कोई ठोस व कारगर नीति न बनाने के कारण यहां रोजगार के संसाधन उपलब्घ नहीं हो सके हैं। जिस कारण यहां के लोग रोजगार के लिए महानगरों के लिए पलायन करने को विवश हो जाते हैं। सरकारों का ध्यान केवल खनन और शराब के जरिए ही राजस्व प्राप्त करना है क्योंकि इसमें मेहनत कम और कमिशनखोरी अधिक है। सरकारों को चाहिए कि वे राकेश थपलियाल जैसे कुटीर उद्योगों के लिए बेहतर नीति बनायें।
(संवाद 365/डेस्क)
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