रुद्रप्रयाग: क्रौंच पर्वत पर बसे उत्तर भारत के एक मात्र सिद्ध पीठ भगवान कार्तिक स्वामी के मंदिर में हर साल जून महीने में होने वाले धार्मिक अनुष्ठान और विशाल जल कलश यात्रा पर भी कोविड 19 की काली साया पड़ी है। धार्मिक परम्पराओं के निर्वहन के लिए सूक्ष्म रूप से इस वर्ष यहां हवन और पूजन किया गया।
रूद्रप्रयाग-पोखरी मोटर मार्ग पर 33 किमी की दूर पर स्थित रूद्रप्रयाग और चमोली की सीमा पर एक छोटा सा कस्बा आता है कनकचैरी, यहीं से 3 किमी की पैदल दूरी तय कर कुमार लोक के नाम से विख्यात क्रौंच पर्वत पर भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर विराजमान है। हर वर्ष जून महीने में 11 दिवसीय भव्य धार्मिक अनुष्ठान वर्षों से यहाँ आयोजित होता आ रहा है। कार्तिक स्वामी रूद्रप्रयाग और चमोली जिले के 362 गाँवों के आराध्य देव है। लेकिन इस साल कोरोना के चलते सूक्ष्म रूप से ही बिना भक्तों के पूजा की गई।
तीर्थाटन के लिहाज से जितना पवित्र यह धाम है, उतना ही प्राकृतिक सौन्दर्य से भी परिपूर्ण है। हरे भरे बाँज-बुराँस, मोरू अंयार और काॅफल जैसे विभिन्न प्रजाति के घने जंगलों के बीच से होते हुए कार्तिक स्वामी पहुँचा जाता है, जो अत्यधिक रमणीय लगता है। साल भर यहां पर सैलानियों को आना जाना लगा रहता है। लेकिन इस साल कोरोना के चलते यहां का व्यापार भी प्रभावित हुआ है।
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संवाद365/कुलदीप राणा