रूद्रप्रयाग: रूद्रप्रयाग जिले में अवैध खनन का कारोबार खूब फल फूल रहा है. लेकिन जिला प्रशासन कार्यवाही के नाम पर मौन धारण किए हुए हैं. खनन माफिया और जिम्मेदारों की मिली भगत से सरकार को कैसे चूना लग रहा है ये हम आपको बताते हैं.
मद्दमेश्वर से आने वाली मधु गंगा पर पौंडार जुगासू उखीमठ में धडल्ले से खनन माफिया अवैध खनन कर रहे हैं. लेकिन उखीमठ तहसील प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी चुप्पी साधे हुए है. यहां चुगान हेतु प्रशासन द्वारा स्थानीय निवासी प्रमोद सिंह नेगी को 2 नाली 9 मुठ्ठी, यानि 0.52 हैक्टयर एक और 0.056 हैक्टेयर दूसरे में चुगान के लिए पट्टा वितरित किया गया है. लेकिन पट्टे की आड़ में पट्टा धारक द्वारा वितरित जगह से बाहर एक बड़े भू-भाग पर धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है.
अब आप हैरान हो जाइए
जो बात हमने आपको बताई वो तो थी. कि किसका खनन है और कितना खनन है जबकि उसके अलावा कितना किया जा रहा है. अब हैरान आप तब होंगे जब जानेंगे कि पिछले महीने 13 मई को इस क्षेत्र के पटवारी द्वारा पट्टा धारकों को वितरित पट्टे से बाहर 240 मीटर लम्बाई और 40 मीटर चैड़ाई में अवैध खनन करने पर चालान किया गया था. और उसकी जांच रिपोर्ट तहसील प्रशासन उखीमठ को सौंपी थी. लेकिन बावजूद तहसील प्रशासन द्वारा कोई भी कार्यावाही नहीं की गई. ऐसे में साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं अवैध खनन के इस खेल में तहसील प्रशासन की भी संलिप्तता है. ऐसे में सरकार को लाखों रूपयों के राजस्व को भी चुना लग रहा है.
नियम ताक पर
दूसरी तरफ खनन के इस खेल में तमाम पर्यावरणीय पहलुओं और एनजीटी के नियमों को ताक पर रखा जा रहा है. मधु गंगा में खनन माफियाओं द्वारा खुले आम बड़ी-बड़ी जेसीबी और पौकलैंण्ड मशीनों से मधु गंगा नदी के सीने को चीर कर इसके शांत प्रवाह को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है. उधर सरकार के अधिभार को भी जमकर चूना लगाया जा रहा है.
कैसे होता है खेल
अब जरा समझने की कोशिस करें कैसे खनन माफियाओं का गोरखधंधा फल-फूल रहा है. माल ले जाते डम्परों में करीब 5 से 7 टन रेता-बजरी आता है. लेकिन खनन माफियाओं द्वारा इन वाहनों को केवल दो टन का अधिभार का रवाना दिया जाता है. एक दिन में उखीमठ तहसील प्रशासन और पुलिस के नाक के नीचे से सैकड़ों डम्पर यहां से गुजरते हैं लेकिन इन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं है. ऐसे में एक ही दिन में एक पट्टे से सरकार को करीब एक लाख रूपये का चूना लगता है.
रूद्रप्रयाग जिले में न केवल मधु गंगा पर बल्कि अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों पर भी धड्ल्ले अवैध खनन किया जा रहा है. खुले आम एनजीटी और तमाम पर्यावरणीय पहलुओं को दरकिनार करते हुए खनन का खेल चल रहा है लेकिन जिला प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी इस ओर आँख मूँद देता है तो कही ना कही प्रशासन पर भी बड़े और गम्भीर सवाल उठाने स्वाभाविक हैं.
(संवाद 365/कुलदीप राणा)
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