रुद्रप्रयाग: रिवर्स पलायन को लेकर शख्स की सराहनीय पहल

April 1, 2021 | samvaad365

उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र राज्य बनने के बाद से ही पलायन के अभिशाप से जूझ रहे हैं. पलायन रोकने को लेकर न जाने कितनी ही नीतियां बन गई हैं और कितने ही योजनाएं संचालित हो गई हैं लेकिन पलायन का दंश कम होने की बजाय विकराल रूप लेता जा रहा है। ऐसे में कुछ जूनूनी लोग हैं जिन्होंने रिवर्स पलायन को लेकर बेहतर कार्य किया है.

उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में सरकारों की पलायन रोकने के दावे, नारे, योजनाएं और नीतियां भले ही कोई काम न आई हो लेकिन रूद्रप्रयाग जनपद में विजय सेमवाल की मुहिम रिवर्स पलायन का नायाब उदाहरण बन रही है। दरअसल साल 1990 के दौर में रूद्रप्रयाग जनपद मुख्यालय का सबसे नजदीकी गाँव बर्सू पलायन के कारण पूरी तरह से जनशून्य हो चुका था। साल 2000 आते आते यहाँ मकान झाडि़यों में तब्दील हो चुके थे और ऐतिहासिक तिबारियां-खोलियां खण्डर होती जा रही थी। जो गाँव कभी बच्चों की किलकारियों, धार्मिक और मांगलिक कार्यों एवं पाण्डव नृत्य जैसे सांस्कृतिक-सामाजिक कार्यक्रमों से गुलजार रहा करता था वहां आवासीय भवन अपनों की बाट जोह रहे थे, गाँव में पसरा सन्नाटा इस गाँव के अस्तित्व को खोने का दर्द बयां कर रहा था। लेकिन साल 2014 में इसी गाँव के विजय सेमवाल ने यहाँ खेती-पशुपालन, मुर्गी पालन सब्जी उत्पादन और फलोद्यान कार्य आरम्भ किया तो गाँव के पुर्नस्थापन की कुछ उम्मीदें जागने लगी.

अलकनंदा और मंदाकिनी के संगम तथा जिला मुख्यालय से जुड़ा बर्सू गाँव कभी 60 ब्रह्ामण परिवारों का गांव हुआ करता था। लेकिन सड़क, पानी, बिजली और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में लोगों ने यहां से धीरे-धीरे पलायन करना आरम्भ किया और स्थिति यह हो चली की यह पूरा गांव खाली हो गया. बिजय सेमवाल की मुहिम के बाद अब लोग गाँव लौटने लगे हैं और अपने खण्डहर मकानों को ठीक कर रहे हैं. अब तक करीब आधा दर्जन से अधिक परिवारों ने अपने संसाधन जुटाकर खेती बाड़ी के जरिए स्वरोजगार की दिशा में कार्य आरम्भ कर दिया है.

किसी बंजर गाँव को आबाद करना आसान नहीं था। झाडि़यों में तब्दील हुए इस गाँव में दिन में ही अक्सर विजय सेमवाल का गुलदार-भालुओं से सामना हो जाता था। लेकिन मजबूत इच्छा शक्ति का ही नतीजा था कि तमाम बाधाओं और परेशानियों के बावजूद विजय सेमवाल ने अपनी विजय गाथा जारी रखी और आज करीब 6 साल के बाद उनकी मेहनत ने इस गाँव को पुर्नस्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ाया है। जबकि विजय सेवामल ने करीब अपने साथ 4 लोगों को रोजगार दे रहा है और साल में लाखों की आमदनी भी हो रही है.

(संवाद 365/कुलदीप राणा आजाद)

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