सलाम जांबाज़…18 बार रहे असफल, 19वीं बार में बने लेफ्टिनेंट

June 9, 2019 | samvaad365

देहरादून: अक्सर सफलता उन्हें ही मिलती है जिनके हौसलों में उड़ान भरने का जज्बा होता है। बहुत कम लोग ही ऐसे होते हैं जो अपनी लगन और मेहनत के दम पर असंभव को भी संभव कर दिखाने का हुनर रखते हैं। ऐसे ही एक हिम्मती कैडेट हैं गाजियाबाद के सुमित कुमार, जिन्होंने बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना देखा था, लेकिन सपना तो हर कोई देखता है अपने सपने को पूरा कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती है।

मगर सुमित ने अपने सपने को पूरा कर अपनी जिंदगी में अलग रंग भर दिए। ऐसा नहीं है कि सुमित को पहले ही कदम पर सफलता मिल गई हो, बल्कि अपनी इस सफलता के लिए सुमित ने बेहद कड़े संघर्ष भी किए हैं। लाख कोशिशों के बाद भी सुमित असफल ही रहा लेकिन सुमित को पता था कि एक दिन उसकी मेहनत रंग लाएगी। सुमित को देश की सेवा करने का मौका उनके 19वीं बार के प्रयास के बाद मिला। देश की सेवा करने के जज्बे ने ही उन्हें आज लेफ्टिनेंट बना दिया है।

दरअसल सुमित कुमार मूल रुप से गाजियाबाद के रहने वाले हैं। साहिबाबाद के सरस्वती शिशु मंदिर से प्रारम्भिक परीक्षा पास कर सुमित ने साहिबाबाद से 12वीं की परीक्षा देने के दौरान ही एनडीए का भी फॉर्म भर दिया। साल 2012 में 16 साल के सुमित पहली बार एनडीए परीक्षा में शामिल हुए इतना ही नहीं वह इसकी लिखित परीक्षा में पास भी हुए। जिसके बाद उनका सिलेक्शन एसएसबी के लिए हुआ, लेकिन इंटरव्यू में सुमित असफल हो गए।  सुमित बताते हैं कि लगभग 18 बार असफल होने के बावजूद उन्होंने कोशिश जारी रखी। 18 बार असफलता मिलने के चलते कई लोगों ने उन्हें उस फिल्ड को छोड़ने के सुझाव दिए लेकिन सुमित ने किसी की परवाह नहीं की, और अपनी कमियों को सुधारने का काम करना जारी रखा। सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने दोगुनी मेहनत से काम किया जिसके बाद 19वें प्रयास में सुमित को सफलता मिली। बहरहाल, संवाद365 सुमित को मिली इस उपलब्धि के लिए उन्हें ढेरों शुभकामनाएं देता है।

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संवाद365/पूजा कोठियाल

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