तीलू रौतेली की जयंती पर शत् शत् नमन, पौड़ी गढ़वाल में हुआ था तीलू का जन्म

August 8, 2020 | samvaad365

तीलू रौतेली, उत्तराखंड की एक ऐसी वीरांगना जो मात्र 15 साल की उम्र में ही रणभूमि में कूद पड़ी थी। उनकी वीरता के कारण ही उन्हें गढ़वाल की लक्ष्मीबाई कहा जाता है। तीलू ने लगातार 7 सालों तक अपने दुश्मनों को कड़ी चुनौति दी थी। 15 साल की उम्र से 22 साल की उम्र तक तीलू ने सात युद्ध लड़े ऐसा करने वाली वो संभवतः विश्व की एकमात्र वीरांगना होंगी। तीलू रौतेली का जन्म 8 अगस्त 1661 को राजा फतेह सिंह के सेनापति भुप्पू रावत के घर में गुराड़ तल्ला गांव में हुआ था। जो पौड़ी के प्रसिद्ध चैंदकोट क्षेत्र में आता है। वीरांगना तीलू रौतेली की याद में आज भी कांडा मल्ला गांव में कौथिग का आयोजन किया जाता है, और तीलू रौतेली की प्रतिमा का पूजन किया जाता है।

अपने शत्रुओं को पराजय का स्वाद चखाने के बाद वापस लौट रही तीलू रौतेली पर घात लगाकर हमला किया गया जब उनके पास हथियार नहीं थे। लेकिन कहा जाता है वीरगति को प्राप्त होने से पहले तीलू ने अपने दुश्मन पर कटार से वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया था। तस्वीरों में तीलू रौतेली का ये वो किला है जहां वो युद्ध करने के बाद विश्राम करने के लिए आया करती थी। किलों के दरवाजे करीब 10 फीट उंचे हैं, लोग आज भी यहां पर आते हैं और इन्हें संरक्षित किए हुए हैं।  हालांकि ये किला काफी पुराना हो चुका है लेकिन आज भी इसे तीलू की निशानी के रूप में देखा जाता है। तीलू रौतेली एक ऐसी वीरांगना थीं जिनकी कहानी सदियों तक लोगों को सुनाई जाएगी। और लोग उनकी कहानी से प्रेरणा लेंगे। संवाद 365 की ओर से तीलू रौतेली को शत्शत नमन।

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संवाद365/भगवान रावत

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