पहाड़ की सुन्दर वादियों मेें पर्यटन की अपार संभावनाऐं किसी से छुपी नही हैं, ऐसे में कोरोना काल जहां दुनिया के लिए मुसीबत लेकर आया लेकिन यही कोरोना काल पहाड़ के पर्यटन के लिए आशा की किरण बन गया है.
रूद्रप्रयाग में प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर सूदूरवर्ती बांगर पट्टी, यहां बर्फ से लदी सुन्दर पहाड़ी हैं, रंगबिरंगी मछलियों की प्राकृतिक झील बधाणीताल है, यहां भगवान विष्णु के कई प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन इन सबके बावजूद भी ये पूरी घाटी पर्यटकों की नजर से औझल है. लेकिन कोरोना काल के बाद अब तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है.
बांगर घाटी में कोरोना काल के दौरान गांव थापला लौटे होटेलियर अरविन्द सेमवाल ने दो माह पूर्व अपने संसाधनों से बांगर का पहला होम स्टे शुरू किया, पहाड़ के पारम्परिक घर में पहाड़ी भोजन पर्यटकों को परोसा, और मात्र दो महिनों में 110 पर्यटकों उनके होम स्टे में ठहरने पहुचे, जिसके बाद आज कई बेरोजगारोें के लिए वो रोल माॅडल बन चुके हैं, तो कई लोगों को अपने होम स्टे से रोजगार भी दे रहे हैं.
बांगर पट्टी में पहले होम स्टे की सफलता को देख अब कई बेरोजगार युवा भी होम स्टे के क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं, इससे अबतक पर्यटकों की नजर से औझल बधाणीताल, वासुदेव मंदिर जैसे पर्यटक स्थलों को भी नई पहचान मिल रही है. वहीं खण्डर बन रहे पुराने तिबारी पठाली वाले पहाड़ी घरों की अहमियत भी बढ़ रही है, साथ ही पर्यटक भी बांगर पट्टी की प्राकृतिक सुूदरता पर मोहित हो रहे हैं, और अन्य पर्यटकों को भी यहां आने का निमंत्रण दे रहे हैं.
पहाड़ की प्रकृति के अनमोल खजाने की अहमियत अब प्रवासी होटलियर समझने लगे हैं, और अपने स्तर से स्वरोजगार के प्रयास भी करने लगे हैं, ऐसे में सरकारी तन्त्र को भी स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ा रहे प्रवासीयों की सरकारी योजनाओं से भरपूर मदद करनी चाहिए, जो अभी नाकाफी दिख रही है.
(संवाद365/कुलदीप राणा आजाद)