कुमाऊं मंडल के कुछ प्रसिद्ध मंदिर

April 5, 2022 | samvaad365

उत्तर भारत में स्थित उत्तराखंड के नाम का जिक्र आते ही  पहाड़ की प्राकृतिक सुंदरता और खुबसूरत वादिया आंखों  के सामने आ जाति हैं । यहां की वादियों की सुंदरता हर किसी के मन को मोह लेती है। उत्तराखंड को देवभूमि  के नाम से भी संबोधित किया जाता है क्योंकि यहां पर हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं के धर्मस्थल हैं। इन्हीं कारणों से इसे पवित्र धर्म स्थलों में से एक माना जाता है।  तो आज हम आपको उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं।

नंदा देवी मंदिर

तो सबसे पहले हम आपको ले चलते हैं.उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित नंदा देवी मंदिर में , जो हिंदू धर्म का एक पवित्र मंदिर है, आस्था व धार्मिक स्थल के रूप में नंदा देवी मंदिर का विशेष महत्व है। यहां पर माता दुर्गा के एक रूप की पूजा अर्चना होती है। इस मंदिर का इतिहास 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना है, नंदा देवी दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि माता के दर्शन करने से व्यक्ति के अंदर बुराई का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है।

कसारदेवी मंदिर

दसरा.. अल्मोड़ा में  10 किमी दूर अल्मोड़ा-बिंसर मार्ग पर स्थित कसारदेवी मंदिर हैं। ऐसा माना जाता हैं कि अनूठी मानसिक शांति मिलने के कारण यहां देश विदेश से कई पर्यटक आते हैं।मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां पर देवी मां साक्षात अवतरित हुई थी और यहां धरती के अंदर विशाल भू-चुंबकीय पिंड पाए जाते हैं

नैना देवी

उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित नैना देवी का मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है। यहां पर माता सती के नेत्र गिरे थे इसलिए इस मंदिर को नैना देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर एक नैनी झील भी है जिसका नाम नैना देवी के नाम से पड़ा है।

हाटकालिका मंदिर

पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट शहर में स्थित हाटकालिका मंदिर  जो  देवी काली की  शक्ति पीठों के लिए जाना जाता है। यह मंदिर घने देवदार के जंगलों के बीच में स्थित है। माँ हाटकालिका मंदिर का इतिहास इस प्रकार माना जाता है कि महाकाली माता ने पश्चिम बंगाल से इस जगह को अपने घर से स्थानांतरित कर दिया था और तब से इस क्षेत्र में लोकप्रिय देवी के रूप में पूजी जाती है।  और यह भी माना जाता है कि हाटकालिका मंदिर में विराजमान महाकाली माता इंडियन आर्मी की कुमाऊँ रेजिमेंट की आरध्य देवी हैं। बताया जाता है कि इस रेजिमेंट के जवान युद्ध या मिशन पर जाते हैं तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। यही कारण है कि इस मंदिर के धर्मशालाओं में किसी न किसी आर्मी अफसर का नाम जरूर मिल जाते हैं।

संवाद 365,निशा ज्याला

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