राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विभिन्न अनुसांगिक संगठनों के समन्वय द्वारा तैयार स्वावलम्बी भारत अभियान समिति के माध्यम से सम्पूर्ण देश मे स्वावलम्बी भारत अभियान चल रहा है। उद्यमिता एवं स्वरोजगार के क्षेत्र में स्वावलम्बी भारत अभियान पूरे देश, प्रान्त एवं सभी जिलो में चल रहा है। पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संगठक श्री सतीश कुमार जी ने बताया कि बेरोजगारी की समस्या के समाधान हेतु व्यापक प्रयत्नों जैसे जनजागरण, प्रबोधन व योजना की आवश्यकता है। उसके लिए आर्थिक संगठनों के साथ-साथ शैक्षिक व सामाजिक संगठनों की एक व्यापक पहल है स्वावलंबी भारत अभियान। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य देश की बेरोजगारी का निराकरण कर देश में जीरो प्रतिशत बी.पी.एल. एवं देश की इकोनॉमी को 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना है। इन्हीं उद्देश्यों को लेकर समिति द्वारा सम्पूर्ण देश मे उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित किये जा रहा है.
पत्रकार वार्ता से पूर्व में देहरादून के चकराता रोड स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी व मैनेजमेंट (ITM) में उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कार्यक्रम में पधारे मुख्य वक्त श्री सतीश कुमार जी (राष्ट्रीय सह संगठक स्वदेशी जागरण मंच), श्री निशांत थपलियाल, चैयरमैन आईटीएम इंस्टिट्यूट, उपेंद्र अन्धवाल (युवा उद्यमी), अभियान के प्रान्त समन्वयक दरवान सरियाल, प्रीति शुक्ला प्रान्त महिला समन्वयक, श्री बिशम्भर नाथ बजाज जी (वरिष्ठ समाजसेवी) द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में आये सफल उद्यमी उपेंद्र अन्थवाल ने वहाँ उपस्थित सभी लोगो को व विद्यार्थियों को प्रेरित किया। उन्होंने अपने व्यवसाय और उसकी सफलता की कहानी सभी को बतायी।
कार्यक्रम में स्वरोजगार के क्षेत्र में कार्य कर रहे उत्तराखंड के युवा व नए उद्यमियों की सफल कहानी भी मुख्य वक्ता जी द्वारा भी बतायी गयी। स्वावलंबी भारत अभियान के मंच पर इन उद्यमियों के कार्यों की सक्सेस स्टोरी के द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित युवाओं को प्रोत्साहित भी किया गया।
पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री सतीश कुमार जी द्वारा बताया गया कि अभी भारत में संगठित क्षेत्र की नौकरियां (सरकारी, अर्द्धसरकारी व प्राइवेट मिलाकर) केवल 6-7% हैं, जबकि कच्ची ठेके पर दिहाड़ीदार व अन्य सब मिलाकर भी 20-21% तक ही होती हैं। शेष 79 80% लोग कृषि, लघु कुटीर उद्योगों व स्वरोजगार से अपना रोजगार पाते हैं। जबकि सामान्य युवा नौकरी, विशेषकर सरकारी या बड़ी कंपनी की नौकरी को ही रोजगार मानते हैं। ऐसी सोच को आज बदलने का समय है और स्वरोजगार और उद्यमिता को अपनाना पड़ेगा.
(संवाद 365, वाचस्पति रयाल)
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