ऋषि गंगा में आए जल प्रलय में बहे कर्मियों के परिजन दाने दाने को मोहताज ,सरकार ने केवल आशवासन दिया गुजारे के लिए पैसा नहीं

July 5, 2021 | samvaad365

विकासखंड नरेंद्रनगर की पट्टी क्वीली के गांव जखोली सेे 2 युवा- त्रेपन सिंह सजवाण-38 वर्ष व अनिल बिजल्वाण-36 वर्ष तथा बगल के ही गांव किराड़ा के दीपेश उम्र 28 वर्ष ;ये तीनों युवा जनपद चमोली की ऋषि गंगा प्रोजेक्ट में ऋत्विक कंपनी में कार्यरत थे,गत 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से आए भीषण जल प्रलय के सैलाब में ये तीनों बहकर लापता हो गए,काफी खोजबीन के बाद भी इन तीनों के शव नहीं मिले,प्रदेश सरकार ने ऐलान किया था कि जल प्रलय के सैलाब में लापता लोगों के शव 1 माह के भीतर न मिलने पर, मृतक घोषित कर प्रमाण पत्र जारी करने के साथ परिजनों को उचित सहायता मुहैया करा दी जाएगी,मगर ताज्जुब तो ये है कि सहायता के नाम पर तीनों मृतकों के परिजनों को अभी तक किसी तरह की कोई सहायता राशि प्रदान नहीं की गई है।इन तीनों मृतकों के परिवार अनाथ और असहाय छूट गए हैं।मृतक त्रेपन के परिवार में पत्नी प्रीति सहित 11 व 8 वर्ष की पुत्री/पुत्र गम में डूबे हैं।जबकि मृतक अनिल बिजल्वाण कि परिवार में पत्नी कुसुम लता सहित 10 वर्ष व 8 वर्ष के दो नादान बच्चे व 76वर्ष की बुजुर्ग मां बेसहारा हो गये हैं।आगें पढ़ें-

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गांव किराड़ा के दीपेश के घर में 25 वर्षीय रोशनी देवी का डेढ़ वर्ष का पुत्र है, रोशनी इस वक्त प्रेग्नेंट है। इस परिवार पर दोहरी मार पड़ी है,दीपेश के जलप्रलय में परिवार की देखरेख कर रहे ससुर भी एक माह पूर्व कोरोना संक्रमित होकर काल के मुंह में समा गए हैं।5 माह गुजर जाने के बाद तीनों मृतकों के परिजनों को कंपनी और सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई सहायता अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।तीनों मृतकों के परिवार 2 जून की रोटी के लिए मोहताज है।मृतकों की पत्नियों पर परिवार की भरण-पोषण की पूरी जिम्मेदारी आ पड़ी है।तीनों मृतकों के परिवारों की विकट परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय सचिव सरदार सिंह पुंडीर गांव जखोली और किराड़ा पीड़ितों को मिलने पहुंचे और ढाढस बंधाते हुए आश्वासन दिया कि यदि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, तो उक्रांद पीड़ितों को न्याय दिलाने को सड़क से सदन तक आंदोलन करेगा। हालांकि पीड़ित परिवारों का कहना है कि आश्वासन तो सभी दे रहे हैं, लेकिन घटना के 5 माह बाद भी आश्वासन कहीं धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं।

संवाद365,वाचस्पति रयाल

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