पिथौरागढ जिले से सटे सेल, सल्ला,चिगरी,हल्दु भौरा,तडेमिया सहित कई गांव में आज भी पीडि दर पीडि से चली आ रही पुरानी परम्परा को जीवित रखा है. परम्परा को संजोये रखने में,पहाड के लोग आज भी सबसे आगे हैं. पहाडों का शांत वातावरण शुद्ध हवा पानी का भरपूर लुप्त पहाडों के लोग कैसे उठाते हैं ये पहाड के लोगों के अलावा और कोई नहीं जानता है.
पहाडों मे कई प्रकार या फिर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं,जैसे शादी समारोह,जनेव संसकार,पुजा अर्चना या फिर सुख-दुख के सभी कार्यों में जिन्हे निभाने के लिए गांव घरों में लोग एक दुसरे की मदद के लिए हमेशा तैयारीयां कर आगे आते हैं. एक दुसरे की मदद करते हैं,खाना बनाने से लेकर खाने तक का सफर.
पहाडों में शुद्ध पकवान दाल,भात चटनी रायता,रोटी सब्जी,और पहाडी सलाद,बनाने के बाद लाइन बार बारी बारी शांत वातावरण मे खाना खिलाया जाता है,सबसे पहले छोटे बच्चों को फिर बडों को और अंत मे खाना बांटने वाले (टहलवा) व पंडित आपस मे बैठकर प्यार से हंसी मजाक करते हुए खाना खाते है.
(संवाद 365/मनोज चंद)
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