1 जनवरी 1983 को जन्मे उत्तराखंडी गायक वीरू जोशी का सपना आर्मी ज्वॉइन करना था। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था, उनका यह सपना उस वक्त चकनाचूर हो गया जब एक सड़क हादसे में उन्होंने अपने दोनो पैर गंवा दिए। लेकिन कुछ कर गुज़रने का जज़्बा ऐसा कि वीरू जोशी ने फिर भी हार नहीं मानी। और चल पड़े अपने संघर्ष से एक नई कहानी लिखने।
उन्होंने अपनी जिंदगी की फिर से एक नई शुरुआत की और गायकी के क्षेत्र में एक के बाद एक नए आयाम गढ़ते गए। उन्होंने कई उत्तराखंडी एलबम के लिए गीत तो लिखे ही साथ ही अपनी आवाज़ भी दी। उनके इस संघर्ष में कई लोग वीरू जोशी के साथ खड़े रहे, जिनमें ममतामयी माता मंगला और परम श्रद्धेय भोले जी महाराज का भी खास योगदान रहा। आइए देखते हैं गायक वीरू जोशी से खास मुलाकात आप की बात संवाद365 के साथ।
संंवाद365/ पुष्पा पुण्डीर