ईगास विशेष: इस ईगास तीन युवाओं की तिकड़ी ने एक शानदार पहल करते हुए पहाडी़ मिठाई को व्यंजनों का सेट तैयार किया है. दरअसल एक टोकरी के अंदरूनी हिस्से को चार खानों में बांटा गया है जिनमें पहाड़ों के पारंपरिक रौन्ट, अर्शे, तिल के लड्डू के अलावा सबसे जुदा मंडवे के स्वादिष्ट खस्ते सुसज्जित रखे मिलेंगे.
हर पहाड़ी भली भांति जानता है कि पहाड़ों में बिना अर्शे, रौन्ट, तिल के लड्डू के बगैर कोई भी रस्म पूरी नहीं मानी जाती है और यह सब हमारी परंपरा के अहम हिस्सा भी हैं. इन पारंपरिक और स्वादिष्ट पकवानों को गांव की महिलाएं एक समूह में तैयार करती है, जिसे “तैकू” कहा जाता है । “तैकू” गांवों में बारी-बारी अलग-अलग परिवारों में लगता है.
मैदानी क्षेत्रों में जिस तरह होली के मौके पर पर गुजिया, खस्ता बनाने जाती हैं, उसी प्रकार पहाड़ों में त्यौहार या शुभ कार्यों के अवसर पर रौन्ट, अर्शे बनाने की परंपरा को “तैकू” कहते हैं.
अब उसी पारंपरिक चूल्हे “तैकू” से तैयार हुए पारंपरिक पकवानों को पहाड़ से लेकर मैदानों में लोगों तक पहुंचाने की शुरुआत की है माउंटेन विलेज स्टे के संथापक अखिलेश डिमरी, विनय केडी और अरण्य रंजन ने । इन पारंपरिक पकवानों को “माउंटेन फ़ूड कनेक्ट” की रसोई में ग्रामीण महिलाओं द्वारा “तैकू” परम्परा से तैयार किया गया है । फाउंडेशन के सदस्यों का कहना है कि इससे हम रीति रिवाजों को आर्थिकी से भी जोड़ सकेंगे ।
हालांकि यह उनका पहला प्रयोग है, लेकिन आगे निरंतर चलने वाला है । इस बार टोकरियों की संख्या सीमित है । आगे जैसे-जैसे आप लोगों की डिमांड इस समूह को मिलेगी तो वैसे ही इसे और विस्तार भी मिलता जाएगा ।
इस पहल से फाउंडेशन का उद्देश्य है “पहाड़ियों को पहाड़ियत से जोड़कर रखना” । उद्देश्य यह भी कि परंपराओं के संरक्षण के साथ-साथ पहाड़ की आर्थिकी को मजबूत कर यहां की महिलाओं और युवाओं को मजबूत और स्वावलंबी बनाया जाए.
(संवाद 365/विकेश)
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