उत्तराखंड पुलिस की शान हैं ये 4 सगी बहनें, आर्मी रिटायर्ड पिता के कहने पर चुनी पुलिस सेवा

April 7, 2022 | samvaad365

देहरादून: बेटियां  हमारे समाज  का  एक  स्तम्भ हैं।  यदि वे शिक्षित और आत्मनिर्भर नहीं होगी तो समाज भी लडखडा जाएगा। लेकिन आज भी 40% से 50% महिलाएं हैं, जो शिक्षित होने पर भी घर पर ही बैठी हैं। यानी कि देश का आधा ज्ञान घर पर ही है। ऐसा होने का कारण है सामाज की रूढ़िवादी सोच।

लेकिन आज हम आपको अल्मोड़ा की ऐसी चार बेटियों से मिलवाने जा रहे हैं। जिन्होंने इन रूढ़ियों को तोड़कर सशक्तिकरण की नई मिसाम दी  है, जिसका सारा श्रेय ये अपने पिता को देती हैं। आर्मी से रिटायर्ड पिता की चारों बेटियां उत्तराखंड पुलिस की शान हैं। चारों बहनों में से दो पुलिस में दरोगा हैं तो वही दो कांस्टेबल के तौर पर सेवाएं दे रही हैं। बेटियों को सफलता के शिखर तक पहुंचाने श्रेय इनके

पिता को जाता है। जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की ठान ली, और इसके लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। अल्मोड़ा के मानीला क्षेत्र में रहने वाली इन चारों बहनों ने जॉब के रूप में पुलिस सेवा को चुना। इनके पिता स्वर्गीय रूप सिंह साल 1991 में सेना से रिटायर हुए। उसके बाद वह बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने में जुट गए। बड़ी बेटी जानकी बोरा बीएससी की पढ़ाई के दौरान 1997 में पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हो गई। आगे पढ़िए
उनकी बेटी कुमकुम धानिक भी साल 2002 में सिपाही बनी। साल 2005 में अंजलि भंडारी को उत्तराखंड पुलिस में सिपाही के रूप में चुन लिया गया। जबकि सबसे छोटी बहन गोल्डी घुघत्याल साल 2015 में सीधे दरोगा बनीं। जानकी इस समय नरेंद्रनगर में है। अंजलि पीएसी देहरादून, कुमकुम हल्द्वानी और गोल्डी ऊधमसिंहनगर में दरोगा पद पर तैनात है। इन बहनों को लोग कॉप सिस्टर्स कहकर पुकारते हैं। बेटियों की सफलता में पिता का बड़ा योगदान रहा। दरोगा कुमकुम बताती हैं कि उनके पिता बेटियों को कभी सूट नहीं पहनने देते थे, वह हमेशा ट्रैक सूट में रहती थीं। पिता ने हमेशा उनका मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया। चारों बहनें न सिर्फ पढ़ाई बल्कि खेलों में भी अव्वल रहीं। दरोगा कुमकुम तो जी टीवी के शो में भी पार्टिसिपेट कर चुकी हैं। इंस्टाग्राम पर उनके हजारों फॉलोअर हैं। ये चारों बहनें कॉप सिस्टर्स के तौर पर मशहूर होने के साथ ही क्षेत्र की दूसरी बेटियों को भी कभी हार न मानने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही हैं। उनके लिए मिसाल बनी हैं।

संवाद 365,डेस्क

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