पहाड़ पर रहने वाले कई लोग सुविधाओं के अभाव का राग गाते हुए अपनी प्रतिभाओं को अपने भीतर ही समाप्त कर देते हैं ऐसे में पहाड़ के रहने वाले एक छात्र ने असुविधाओं का राग न गाते हुए अपनी प्रतिभा के सहारे खुद को उस मुकाम तक पहुंचाया है जिससे वो हर किसी के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।
टिहरी गढ़वाल के घनसाली के राजकीय इण्टरमीडिएट कॉलेज घुमेटीधार से पढाई कर चुके नवलकिशोर भद्री का भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद में स्पेस साइंस रिसर्च के लिए सलेक्शन हुआ है। टिहरी गढ़वाल के जाखणीधार के खांड गांव के रहने वाले नवलकिशोर के पिता का नाम सोहनलाल भद्री है। नवल का परिवार बेहद गरीबी में रहा है, घर की हालत बेहद तंग थी लेकिन नवल के पिता को अपने बेटे में हुनर नजर आ रहा था। बचपन से ही पढ़ाई के साथ साथ रचनात्मक कार्यों में रुचि रखने वाले नवलकिशोर की शुरुआती पढ़ाई सरस्वति शिशु मन्दिर पिलखी से हुई। इसके बाद 6 से 12वीं तक की पढ़ाई राजकीय इण्टर कालेज घुमेटीधार से पूरी की। नवल ने अपनी मेहनत के बूते पर 12वीं कक्षा में उत्तराखण्ड बोर्ड से चौथा स्थान हासिल किया था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, तो नवल ने छात्रवृत्ति की परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई के लिए खर्चे की व्यस्था भी खुद की। भारत सरकार से स्कॉलरशिप मिलने के बाद एमएससी तक की पढाई पूरी की। अब उनका सलेक्शन अंतरिक्ष वैज्ञानिक के तौर पर फिजिकल रिसर्च लैब्रोटरी नवरंगपुरा अहमदाबाद के लिए हुआ है। वहीं अपनी इस सफलता के बारे में नवल का कहना है कि हर किसी को सरकारी विद्यालयों के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है। मेहनत एवं लगन से पढ़ाई करने वालों का सुनहरा भविष्य बनाने के लिए सरकारी स्कूल काफी हद तक मददगार साबित होते हैं। नवल ने ये साबित कर दिया है कि अगर आपके अंदर प्रतिभा हो और कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो कोई भी अड़चने आपके सपनों को पूरा होने से नहीं रोक सकती है।
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देहरादून/काजल