फलों की रानी लीची की इस बार बंपर पैदावार ,काश्तकारों और कारोबारियों के चेहरे खिले

June 16, 2021 | samvaad365

आम को फलों का राजा कहा जाता है, तो लीची फलों की रानी कहते हैं। ये दोनों ही देवभूमि की खास पहचान हैं। यहां की लीची को दुनिया के कोने-कोने में अपने लाजवाब स्वाद के लिए जानी जाती है। इस बार रामनगर और कालाढूंगी में लीची की पैदावार बंपर हुई है, जिससे काश्तकारों और कारोबारियों के चेहरे खिले हुए हैं। काश्तकारों को लीची की मुंह मांगी कीमत मिल रही है।कोरोनाकाल में जहां सभी तरह के कारोबार प्रभावित हुए हैं। पिछले साल लॉकडाउन की वजह से माल की सप्लाई ना होने से भी काश्तकारों को घाटा हुआ था, जिससे पिछले साल लीची कारोबारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन इस बार पिछले साल के मुकाबले लीची का दोगुना उत्पादन हुआ है, जिससे काश्तकारों के चेहरे खिले हुए हैं।काश्तकार लीची की मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं। रामनगर के आसपास 875 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लीची का उत्पादन होता है। रामनगर की लीची स्वाद के लिए मशहूर है। बंगाल से लीची खरीदने रामनगर आये व्यापारी लाटू दास कहते हैं कि रामनगर की लीची पंजाब, हरियाणा, मुम्बई और दुबई समेत अन्य देशों के लोगों का बहुत भा रही है। बगीचे को ठेके पर लेकर कारोबार करने वाले मोहम्मद सुल्तान कहते हैं कि इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले लीची का उत्पादन अच्छा रहा है। पिछले वर्ष उनको काफी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन इस बार राहत की बात यह है कि अब की लीची का उत्पादन दोगुना से भी ज्यादा पहुंच गया है।

 

वहीं, उद्यान अधिकारी अर्जुन सिंह परवाल कहते हैं कि इस बार रामनगर कालाढूंगी और उसके आसपास के क्षेत्रों में लीची का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले दोगुना रहा है. दोगने उत्पादन के साथ साथ उसकी क्वालिटी में वृद्धि और सुधार भी हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष रामनगर में लीची का उत्पादन करीब ढ़ाई हजार मीट्रिक टन ही हुआ था, जिसके कारण ठेकेदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार साढ़े चार से पांच हजार टन तक उत्पादन रहा। वहीं, लीची इस बार ₹100 से लेकर ₹120-₹130 किलो तक बिक रही है।उन्होंने बताया कि इस बार बारिश का समय पर होना लीची के लिए एक वरदान साबित हुआ है। इस बार लीची का उत्पादन और अच्छे भाव मिल जाने से किसान भाई और कारोबारी भी काफी खुश हैं।

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