देवभूमी का नाम किया रोशन, सिपाही का बेटा बना जज

November 10, 2020 | samvaad365

ऊधमसिंहनगर के रहने वाले देवभूमी के बेटे शैलेश वशिष्ठ ने न्यायिक सेवा छत्तीसगढ़ की परीक्षा उत्तीर्ण कर के प्रदेश का नाम रोशन करने का काम किया है. काशीपुर के मोहल्ला कूर्मांचल कॉलोनी में रहने वाले शैलेश वशिष्ठ के पिता काशीपुर पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत थे। साल 2001 में उनका निधन हो गया, जिसके बाद से परिवार को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन शैलेश ने हार नहीं मानी. शैलेश वशिष्ठ ने न्यायिक सेवा छत्तीसगढ़ की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। अब वो न्यायाधीश के तौर पर सेवाएं देंगे। उनकी इस उपलब्धि से क्षेत्र में खुशी की लहर है और उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है.

शैलेश चौथी रैंक हासिल करने में सफल रहे. कड़ी मेहनत और संघर्षों के बाद शैलेश को ये मुकाम मिला है. शैलेश के पिता शिव कुमार शर्मा काशीपुर पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत थे. साल 2001 में बीमारी के चलते उनका स्वर्गवास हो गया. पिता की मौत के बाद परिवार को आर्थिक संकटों से जूझना पड़ा जिसके बाद मां पर ही परिवार की जिम्मेदारी आ गई।

बेटों की परवरिश के लिए उनकी मां मंजू शर्मा को 11 साल तक प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करनी पड़ी, लेकिन उन्होंने बेटों की पढ़ाई में कभी कोई दिक्कत नहीं आने दी. साल 2011 में शेलेश की मां मंजू शर्मा को पुलिस विभाग में नौकरी मिल गई जिसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। उन्हें पहली तैनाती रुद्रपुर पीएसी में सिपाही के पद दी गई. शैलेश अपनी माता के साथ दो साल से पीएसी हरिद्वार में रह रहे थे। उनका बड़ा भाई देवेश शर्मा नोएडा में ग्राफिक डिजाइनर है। शैलेश ने साल 2019 में न्यायिक सेवा छत्तीसगढ़ की परीक्षा दी थी. जिसका रिजल्ट शनिवार को जारी हुए. शैलेश ने पहली ही बार में परीक्षा में चौथी रैंक हासिल की है. शैलेश की शुरुआती पढ़ाई ग्रेट मिशन पब्लिक स्कूल में हुई. साल 2018 में उन्होंने यूनिटी लॉ कॉलेज से एलएलबी किया. शैलेश ने अपनी सफलता का श्रेय माता को दिया है. उन्होंने कहा कि वर्षों तक गरीब न्याय के लिए कोर्ट के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाता. इसलिए न्याय विभाग में गरीबों को न्याय दिलाना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है.

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