उत्तराखंड के पूर्व विधायकों को मिल रही पेंशन कम पड़ रही है। अब वे चाहते हैं कि बढ़ती महंगाई के साथ कर्मचारियों की पेंशन बढ़ोतरी की तरह उन्हें भी लाभ मिले। पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राज्य में पूर्व विधायक को 40 हजार रुपये पेंशन देने के प्रावधान है। अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए उन्होंने एक संगठन भी बना लिया है।
पूर्व विधायकों का दावा है कि उनका संगठन राज्य हित से जुड़े मसलों को सरकार के समक्ष उठाने के लिए बनाया गया है। संगठन के अध्यक्ष लाखी राम जोशी कहते हैं, लोगों में यह गलत धारणा है कि पूर्व विधायक खाली पेंशन लेते हैं, लेकिन यह सच नहीं है।
हम इस धारणा को तोड़ना चाहते हैं और राज्य के लिए कुछ करने के लिए ही संगठन बनाया है। उधर, संगठन के औचित्य पर सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि राज्य हित के बहाने पूर्व विधायकों का असल मकसद खुद के हित हैं, जिनके लिए उन्होंने संगठन की आड़ में एक प्रेशर ग्रुप बनाया है।
पूर्व विधायकों की प्रमुख मांगें
पेंशन और पारिवारिक पेंशन में समय-समय पर बढ़ोतरी हो
पूर्व विधायकों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिले
उन्हें सरकारी अतिथि गृहों में मुफ्त ठहरने की सुविधा मिले
पेट्रोल और डीजल बिलों का भुगतान दोगुना हो
भवन व वाहन के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिए जाए
इस तरह तय होती है पूर्व विधायकों की पेंशन
प्रदेश में पूर्व विधायक को पहले साल के लिए 40 हजार रुपये पेंशन मिलती है। इसके बाद प्रत्येक साल में दो हजार रुपये की पेंशन बढ़ोतरी होती है। पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाला विधायक 48 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन लेता है। विधायक का निधन होने पर उसके परिवार को अंतिम पेंशन की आधी धनराशि प्रतिमाह मिलती है। राज्य में कुछ पूर्व विधायक हैं, जिन्हें दो से तीन कार्यकालों की पेंशन मिलती है।
संवाद 365, दिविज बहुगुणा
यह भी पढ़ें : देहरादून : SGRR विवि में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस