उत्तराखंड देवभूमि में महक रहीं घरो की दहलीज, फूलदेई संक्रांति आज

March 15, 2023 | samvaad365

वैसे तो उत्तराखड़ में हर त्योहार ही बड़े हर्षो-उल्लास से मनाया जाता है। ऐसा ही उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा से जुड़ा लोकपर्व फूलदेई चैत के संक्राति पर इस पर्व को मनाया जाता है। देवभूमि के बच्चे परंपरा के अनुसार सुबह उठकर ही अपने गांव, मोहल्ले के घरों में जाकर उनकी देहलीज पर रंगबिरंगे फूलों को बिखरते हैं, और गाने गाते हुए सुख समृध्दि की कामना करते है। फूलदेई को सीधे प्रकृति से जोड़कर मनाया जाता है औऱ अपनी जड़ों से भी जोड़ कर रखने का पर्व माना जाता है।

फूलदेई छम्मा देई, दैणी भरभंकार

यो देली सो बारम्बार, फूलदेई छम्मा देई, जातुके देला उतुके साई

अर्थ- देहरी के फूल भरपूर और मंगलमयी हो, घर की देहरी क्षमाशील हों औऱ सबकी रक्षा करें, सबके घरों में अन्न का पूर्ण भंडार हो।

धार्मिक महत्व-

एक बार भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए। कई ऋतु चली गई। ऐसे में देवताओं और गणों की रक्षा के लिए मां पार्वती ने चैत्र मास की संक्राति के दिन कैलाश पर घोघिया माता को पुष्प अर्पित किए। इसके बाद से ही चैत्र संक्राति पर फूलदेई का पर्व मनाया जाने लगा।

अंकिता कुमाई

 

यह भी पढ़-आंदोलनकारियों को आरक्षण और महिला मंगल दल की राशि मे वृद्धि सराहनीय कदम – चौहान

86386

You may also like