22 वर्ष बीत जाने पर भी सपनों का उत्तराखंड नहीं बन पाया है- राज्य आंदोलनकारी

November 8, 2022 | samvaad365

मसूरी- पर्वतीय राज्य के गठन के लिए कई शहादतों के बाद जन भावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने 9 नवंबर सन 2000 में पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का गठन किया. उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मातृ शक्ति के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान उत्तराखंड के लोगों ने कई यातनाएं सही, दर्जनों लोगों ने अपनी शहादतें दी मसूरी गोलीकांड खटीमा गोलीकांड बाटा घाट कांड के बाद मुजफ्फरनगर कांड श्रीयंत्र टापू कांड की खबर पूरे विश्व में आग की तरह फैल गई और पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग कर रहे निहत्थे आंदोलनकारियों पर पुलिस की बर्बरता इतिहास की पन्नों में काले दिन के रूप में दर्ज हो गई.

उत्तराखंड राज्य के गठन को आज 22 वर्ष पूरे हो चुके हैं और इस दौरान सपनों का उत्तराखंड मिल पाया है. इसी को लेकर हमारे संवाददाता द्वारा राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारियों से खास मुलाकात की गई. राज्य आंदोलनकारी देवी गोदियाल ने बताया कि जिस अवधारणा के लिए उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया था वह आज तक पूरी नहीं हो पाई है और उत्तराखंड का निवासी आज खुद को ठगा महसूस कर रहा है.

इस अवसर पर राज्य आंदोलनकारी और पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने बताया कि जल जंगल और जमीन के लिए उत्तराखंड राज्य आंदोलन किया गया था और उसमें सभी ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की थी लेकिन आज उत्तराखंड में अफसरशाही हावी है यहां के लोगों ने कई यातनाएं सही और कई लोगों ने अपनी शहादतें भी दी लेकिन 22 वर्ष बीत जाने पर भी सपनों का उत्तराखंड नहीं बन पाया है
राज्य आंदोलनकारी बिजेंद्र पुंडीर ने बताया कि प्रदेश मैं पलायन सबसे बड़ी समस्या है और आज गांव के गांव खाली हो चुके हैं 22 वर्षों के बाद भी स्वास्थ्य शिक्षा सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से प्रदेश के लोग वंचित हैं.

(संवाद 365, राजवीर सिंह रोछेला)

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