अकेले ही 50 लाख से ज्यादा वृक्ष लगाकर ग्रीन हीरो बनकर उभरे विश्वेशर दत्त सकलानी अब हमारे बीच नहीं रहे..शुक्रवार सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर उन्होने अंतिम सांस ली , 2 जून 1922 को टिहरी जिले के पुजार गांव में जन्मे विश्वेश्वर दत्त सकलानी एक ऐसे ग्रीन हीरो रहे जिन्होंने अपना पूरा जीवन धरती मां को समर्पित कर दिया, 8 साल की उम्र से पेड़ लगाने का जो सिलसिला उन्होने शुरू किया था वो 50 लाख से ज्यादा पेड़ लगाने के बाद भी नहीं थमा, अकेले अपनी दम पर टिहरी में विशाल जंगल खड़ा करना आसान नहीं था 60 साल से भी ज्यादा समय तक एक ही लक्ष्य लेकर चले विश्वेशवर दत्त सकलानी काफी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे बचपन का उनका शौक दादा जी को देखकर देखकर उभरा ,
जिनके साथ वो जंगलों में पेड लगाने जाते थे लेकिन जिन्दगी में अहम बदलाव तब आया जब उनकी पत्नी शारदा देवी का निधन हुआ…1948 को हुई इस घटना के बाद उनका लगाव वृक्षों और जंगलों की होने लगा..जिसके बाद उनके जिदंगी का वृक्षारोपण ही लक्ष्य रहा , स्थानीय लोग बताते है की उनकी आंखो की रोशनी के जाने के पीछे भी वृक्षारोपण एक बड़ी वजह रही ,सकलाना गांव की तस्वींर बदलने में उनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता , जो इलाका पेड़ विहीन था वहां अब बांज,बुरांश, देवदार के जंगल ही जंगल नजर आते है , 60 साल में 1200 हेक्टेयर से भी ज्यादा इलाके में उनके द्वारा तैयार किया गया जंगल हरियाली का परिचायक नज़र आता है , कई पुस्कारों से सम्मानित विश्वेशवर दत्त सकलानी ने अपना पूरा जीवन पेड़ो से समर्पित किया , ऐसे समर्पित वृक्षमानव को पहाड़ वासी सदा याद रखेगे।
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टिहरी/हर्षमणि उनियाल