विश्व नदी दिवस : हकीकत में अस्तित्व विहीन हो रही कई नदियां, नदियों के संरक्षण और संवर्धन के दावे हो रहे खोखले

September 26, 2021 | samvaad365

विश्व नदी दिवस का क्या है इतिहास

धरती के जल स्रोतों का जश्न मनाने के लिए हर साल सितंबर के चौथे रविवार को विश्व नदी दिवस का आयोजन किया जाता है। मानवता के भरण पोषण में नदियो की अहम भूमिका का महत्व लोगों को बताया जाता है। उनको जागरुक किया जाता है कि धरती पर नदियां सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण का आधार हैं। भारत समेत कई सारे देशों में आज के दिन नदियों की रक्षा करने का संकल्प लिया जाता है। इस खास दिन की शुरुआत 2005 में संयुक्त राष्ट्र संघ के एक कार्यक्रम से हुई थी।

काशीपुर में भी लिया नदियों को बचाने का संकल्प

काशीपुर में आयोजित एक सेमिनार में विभागीय अधिकारियों ने औधोगिक इकाइयों के साथ ही नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नदियों के संरक्षण के लिए मंथन किया और नदियों को पूनर्जीवत करने के लिए कई बिन्दूओं पर चर्चा भी की, जिसमें उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव ने भाग लेते हुए नदियों के खत्म होते अस्तित्व पर गहरी चिंता व्यक्त की।साथ ही संकल्प लिया गया कि नदियों को बचाने के काम किया जाएगा ।

वर्तमान में क्या है नदियों की स्थितियां 

नदियों की पवित्रता और अविरलता आज हाशिये पर है, लगातार घटता जल स्तर और सूखती नदियां जहां चिंता का विषय है वहीं औघोगिकरण से हो रहे प्रदूषण के चलते नदियों का पानी आचमन करने लायक तक नहीं छोडा है, जन समुदाय इस मैली होती नदियों के तमाशे को देख कर भी मूक दर्शक बना है, शासन में बैठे नुमाईंदे नदियों के पुनर्जीवन और उसकी अविरलता की फाइलें भर रहे हैं, नदियों का हाल ये है कि कुछ नदियों का अस्तित्व ही खत्म हो गया तो कुछ नदियों का पानी इतना दूषित है कि खेतों के सिंचाई योग्य भी नहीं रहा।

वहीं कुछ नदियों के पास बनी पेपर मीलों ने तो दूषित पानी नदियों में छोड़कर नदियों के पानी को हाथ लगाने लायक तक नहीं छोडा है, जबकि नदियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार के द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है, साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नदियों की अविरलता के लिए कई जिम्मेदारियां दी गयी है, बावजूद इसके विभाग की लचर कार्यप्रणाली से नदियां अस्तित्व में नहीं है, कुछ नदियों का तो नाम ही अब इतिहास में दर्ज होकर रह गया हैं। देखना ये होगा की कब तक सारी नदियां साफ होती है और सरकार के दावे सच होते हैं ।

संवाद365, अजहर मलिक 

 

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