पिथौरागढ़ के 64 साल : स्वास्थ्य-शिक्षा-रोजगार सब बेहाल; नहीं सुधरे हाल..

February 24, 2024 | samvaad365

पिथौरागढ़ जिले का 24 फरवरी को 64वां जन्मदिन है। नेपाल और चीन सीमा से सटे इस जिले के कई गांवों ने भले ही नगरों का रूप ले लिया हो लेकिन आज भी कई इलाकों में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सड़क सहित अन्य सुविधाओं के अभाव में पलायन से गांव खाली हो गए हैं। शिक्षा से लेकर रोजगार तक के लिए शहरों की खाक छानना लोगों की नियति बनी हुई है। 24 फरवरी 1960 को अल्मोड़ा से अलग कर पिथौरागढ़ जिले का गठन हुआ था। जीवन चंद्र पांडेय जिले के पहले डीएम थे।

पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पिथौरागढ़ जिले के गांवों से 41 फीसदी से अधिक आबादी पलायन कर चुकी है। गांव छोड़ने वाले परिवार कस्बों या फिर नगरों में बस गए। हाल ही में जल जीवन मिशन योजना के तहत गांवों को पेयजल पहुंचाने के लिए सर्वे किया गया था। रिपोर्ट में 58 गांवों के गैर आबाद होने की पुष्टि हुई थी। वर्ष 2019 में पिथौरागढ़ में 1600 गांव आबाद थे। पलायन के कारण जिले में आबाद गांवों की संख्या घटकर 1542 पहुंच गई है। इसकी वजह पलायन कर चुके लोगों का वापस घर नहीं आना है। जिले में बेड़ीनाग विकासखंड के 41 और गंगोलीहाट के 17 गांव आबादी विहीन हो गए हैं।

शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूल
जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है। इस कारण जिन स्कूलों में कभी छात्र संख्या 800 से 1200 होती थी वहां 100 से 150 छात्र संख्या रह गई है। पिथौरागढ़ महाविद्यालय को कैंपस बना दिया है, लेकिन अभी तक प्राध्यापकों की तैनाती नहीं हुई है।

96554

You may also like