उत्तराखंड का एक शिक्षक ऐसा भी, गरीब छात्रों के भविष्य का उठाया बीड़ा

September 21, 2023 | samvaad365

“कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों” ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है अनिल राणा पर जो की एक शिक्षक है। अनिल राणा एक एसे शिक्षक है जो की रविवार के दिन भी छात्रों को पढ़ाते है।

उत्तराखंड के टिहरी जिले के एक टीचर ने ग्रामीण क्षेत्र के गरीब छात्रों के भविष्य को संवारने का बीड़ा उठाया है और खासकर लड़कियों को पढ़ाई के जरिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए 2006 से काम कर रहे है अनिल राणा आज टीचरों के लिए ऐसे आदर्श बन गए है जिन्होंने ग्रामीण गरीब छात्रों की प्रतिभाओं को निखारना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है।

टिहरी के राजकीय इंटर कॉलेज ज्ञानसू में पालीटिकल साइंस के प्रवक्ता अनिल राणा 2006 में ज्वाइनिंग के बाद से ही गरीब छात्रों में शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास कर रहे है अनिल राणा ने ऐसे गरीब छात्र जो ट्यूशन नहीं जा सकते है और किसी भी सब्जेक्ट में कमजोर है उन्हें एक्स्ट्रा क्लास देनी शुरू की। धीरे धीरे छात्रों की संख्या बढ़ने पर उन्होंने संडे और छुट्टी वाले दिन भी छात्रों को ऑनलाइन और स्कूल में ही क्लासेज दी जा रही है। 6 से 12 तक के छात्रों को उनके हर सब्जेक्ट में अनिल राणा मदद करते और 12 के बाद छात्रों को कंपटीशन की तैयारी भी करवाते जिससे कई छात्रों ने ग्रुप सी,पुलिस और अन्य कंपटीशन में सफलता हासिल की है। अनिल राणा का कहना है कि उनका मकसद है कि वो ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब छात्रों को इस काबिल बनाए कि वो आईएएस और पीसीएस में सफलता हासिल करें।

अप्रैल 2023 से अनिल राणा ने ज्ञानसू इंटर कॉलेज के प्रभारी प्रिंसपल का दर्जा लिया और जिम्मेदारी बढ़ने के बावजूद उन्होनें छात्रों को पढ़ाना नहीं छोड़ा। सुबह हो या शाम,संडे हो या कोई भी छुट्टी अनिल राणा छात्रों को पढ़ाने गांव पहुंचते है। आज ज्ञानसू ही नहीं आसपास के गांव पाटा,नवागर के गांव से करीब 40 छात्रों के बैच को अनिल राणा पढ़ाई के साथ ही कंपटीशन की तैयारी भी करा रहे है अनिल राणा का फोकस खासकर बालिकाओं की शिक्षा पर है क्योकिं गांव में रह रही लड़कियों की शादी जल्दी हो जाती है जिस कारण वह पढ़ नहीं पाती है और ना ही उनके माता पिता के पास इतना पैसा होता है की वह अपनी बेटी को पढ़ा सके और इक कारण से लड़किया पढ़ाई छोड़ देती है किंतु अनिल राणा छात्राओं के घर जाकर उनके माता पिता को भी उनकी शिक्षा के लिए समझाने का प्रयास करते है और लड़कियों को पढ़ाने के लिए जोर देते है।

टिहरी के अनिल राणा आज उन टीचरों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है जो पहाड़ में अपनी सेवाएं देने और अपनी जिम्मेदारी से बचते है। अनिल राणा आज पढ़ाई के जरिए गांवों के गरीब छात्रों को गाइडंस करने के साथ ही एक प्लेटफार्म भी दे रहे है जिससे छात्र आत्मनिर्भर बनने के साथ ही जीवन में सफलता भी हासिल करें।

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