उत्तराखंड: पिछले चुनाव के मुकाबले प्रदेश में इस बार बढ़ा मतदान बहिष्कार,2019 के चुनाव में 10 स्थानों पर किया गया था प्रतिकार

April 20, 2024 | samvaad365

प्रदेश में 2019 के मुकाबले इस बार चुनाव में  मतदान प्रतिशत गिरने के रिकॉर्ड को दर्ज किया गया है और साथ ही मतदान बहिष्कार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2019  के चुनाव में जहां 10 स्थानों पर लोगों ने मतदान  का बहिष्कार किया  था, वहीं इस बार के चुनाव में यह आंकड़ा 25 को पार कर गया है।

कितने जिलों में कितना किया गया  बहिष्कार

देहरादून : चकराता क्षेत्र में द्वार और बिशलाड़ खत के 12 गांवों के ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया। छह मतदान स्थलों पर सुबह 7.00 बजे से लेकर शाम 5.00 बजे तक सन्नाटा पसरा रहा। तहसीलदार और एडीओ पंचायत ग्रामीणों को मनाने के लिए गांव में पहुंचे, लेकिन ग्रामीण नहीं मिले। मतदान स्थल मिंडाल में केवल दो मतदानकर्मियों ने मतदान किया। दांवा पुल-खारसी मोटर मार्ग का मरम्मत न होने से 12 गांवों मिंडाल, खनाड़, कुराड़, सिचाड़, मंझगांव, समोग, थणता, जोगियो, बनियाना, सेंजाड़, सनौऊ, टावरा आदि ने बहिष्कार किया। मसूरी में भी करीब सात मतदान केंद्रों पर इक्का-दुक्का ही वोट पड़े।

चमोली : चमोली जनपद में आठ गांवों के ग्रामीणों ने मतदान से दूरी बनाए रखी। निजमुला घाटी के ईराणी गांव में मात्र एक ग्रामीण का वोट पड़ा। पाणा, गणाई, देवराड़ा, सकंड, पंडाव, पिनई और बलाण गांव में ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया। कर्णप्रयाग के संकड, आदिबदरी के पड़ाव, नारायणबगड़ के मानूर और बेड़गांव के ग्रामीण रहे मतदान से दूर। थराली के देवराड़ा और देवाल के बलाड़ में मतदान का पूर्ण बहिष्कार।

पौड़ी : विकास खंड पाबौ के मतदान केंद्र चैड़ में मतदाता वोट डालने के लिए नहीं निकले। इसकी जानकारी लगने पर आनन-फानन में निर्वाचन विभाग की टीम गांव पहुंची और ग्रामीणों से वोट डालने की अपील की। काफी मान-मनौव्वल के बावजूद सिर्फ 13 ग्रमाीणों ने ही मतदान किया, जिसमें दो मत कर्मचारियों के पड़े। चैड मल्ला व तल्ला गांवों के कुल 308 मतदाता हैं।

बुनियादी सुविधाएं न मिलने पर नाराज हुए ग्रामीण
प्रदेश के चार जिलों में बुनियादी सुविधाएं न मिलने से नाराज होकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया है। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने बताया, चमोली में एक सड़क स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन आचार संहिता की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया। बावजूद इसके ग्रामीण वोट डालने को तैयार नहीं हुए। इसी प्रकार, चकराता, मसूरी, पिथौरागढ़ में भी लोगों ने सड़क, पानी आदि की सुविधा के विरोध में मतदान का बहिष्कार किया।

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