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इससे पहले हैदराबाद में नजारा
जीरो शेडो डे साल में दो बार होता है. ये पृथ्वी के सूरज के चारों ओर घुमने की वजह से ये घटना होती है। इसकी वजह से लोगों को घबराना नहीं चाहिए। दरअसल, ये कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच उन एरिया में होगा जो अक्षांश 23.5 और -23.5 डिग्री के बीच होंगे। इन क्षेत्रों में लोगों को अपनी परछाई नहीं दिखाई देगी। ये शहर के हिसाब से बदलता रहता है। इसी साल 18 अप्रैल को बेंगलुरु में जीरो शैडो डे मनाया गया। अप्रैल में ये दोपहर 12बजकर 17 मिनट पर ये नजारा दिखाई दिया। इसी साल हैदराबाद में भी ये घटना दो बार दिखाई दी। ये 9 मई और 3 अगस्त को 12 बजकर 23 मिनट पर हैदराबाद में दिखाई दिया था जब लोगों की परछाई दिखाई नहीं दे रहा था।
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भारत 2 हजार से गणना कर रहा
नैनीताल के वरिष्ठ खलोग वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घटना कर्क और मकर रेखा के बीच होती है। कर्क रेखा यानी 23.5 अक्षांश पर 21-22 जून को हर साल दोपहर में परछाई नहीं बनती है। 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीरो शेडो डे खगोलीय लिहाज से भी अहम दिन है। इस दिन का उपयोग पृथ्वी की परिधि मापने का काम किया जाता है। ऐसा केनकुलेशन हमारे खगोलशास्त्री 2000 साल से करते आ रहे हैं। इसमें पृथ्वी के व्यास और घूर्ण गति मापी जाती है।
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इन स्थानों पर दिखाई देगा
आज 18 अगस्त के दिन मंगलौर, बंटवाल, सकलेशपुर, हासन, बिदादी, बेंगलुरु, दशरहल्ली, बंगारपेट, कोलार, वेल्लोर, अरकोट, अराक्कोनम, श्रीपेरंबटूर, तिरुवल्लुर, अवाडी, चेन्नई जैसे स्थानों पर ये नजारा दिखाई देगा।