प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात के माडल गांव सुनियाकोट के मतदाता बूथ तक नहीं पहुंचे। गांव को सड़क सुविधा न मिलने से काफी नाराज थे ,ग्रामीणों ने पहले ही चुनाव में मतदान न करने का एलान कर दिया था।
मगर संयुक्त मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप पर नोटा दबाने का निर्णय लिया गया था। लेकिन अंतिम चरण में ग्रामीणों की पंचायत में वोट न डालने का जो मन बनाया गया, उस पर मतदाता कायम रहे। मतदान के बजाय उन्होंने धरना दिया। प्रधान ने दावा किया कि गांव के 190 मतदाताओं ने मतदान नहीं किया।
वर्ष 2020 में नौगांव पुनौरा रोड से जोड़ सुनियाकोट से कोटुली तक चार किमी सड़क स्वीकृत हुई थी। पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह परिहार ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि ब्लाक स्तर से जल्दबाजी में सड़क कटान शुरू किया गया, लेकिन उसको आधे अधूरे में ही छोड़ दिया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सड़क निर्माण की घोषणा की थी, लेकिन कोई प्रगति न हो सकी। इसी से खिन्न होकर ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव से खुद को दूर रखने का एलान कर दिया था। इसी के मद्देनजर बीती दो अप्रैल को संयुक्त मजिस्ट्रेट वरुणा अग्रवाल खुद सुनियाकोट गांव पहुंची थी।
संयुक्त मजिस्ट्रेट ने भरोसा दिलाया कि आचार संहिता हटते ही सड़क निर्माण शुरू कराने के भरसक प्रयास किए जाएंगे। तब ग्रामीणों ने एक सुर से मतदान में हिस्सा लेने का मन बना लिया। साथ ही यह भी तय हुआ कि मतदाता राजनेताओं से त्रस्त होकर नोटा दबाएंगे।
रानीखेत संघर्ष समिति भी मतदान से दूर
रानीखेत संघर्ष समिति के संयोजक मंडल ने भी मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया। पूर्व में की गई घोषणा पर अमल करते हुए संयोजक मंडल के सदस्य व उनके स्वजन समेत करीब सौ मतदाता अपने बूथों तक पहुंचे ही नहीं। समिति के खजान चंद्र पांडे के अनुसार कैंट के सिविल क्षेत्र को नगर पालिका में शामिल किए जाने को बीते वर्ष से आंदोलन चलाया जा रहा है। मगर कोई सुनवाई न होने से मतदान में हिस्सा न लेने का निर्णय लिया गया।