सैलानियों के लिए एक अप्रैल को खुलेंगे Gangotri National Park के गेट, यहां होता है दुर्लभ जीवोंं का दीदार

March 31, 2024 | samvaad365

विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट 1 अप्रैल को पर्यटकों के लिए खोले जाएंगे। जिसके बाद पर्यटक गर्तांगली, नेलांग और गोमुख तपोवन की सैर कर सकें। भले ही गंगोत्री और गोमुख के बीच कई स्थानों पर हिमखंड के कारण ट्रैक अवरुद्ध है। हिमखंड की बर्फ हटाने और पिघलने में अभी समय लगेगा। ऐसे में केवल पर्वतारोही पर्यटकों को ही गोमख तपोवन जाने की अनुमति मिल सकती है। आम पर्यटकों को गोमुख-तपोवन की ट्रैकिंग के लिए इंतजार करना पड़ेगा।

गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में गंगोत्री ग्लेशियर, हिमालय की प्रसिद्ध चोटियां, गंगा का उद्गम स्थल गोमुख, केदारताल, भारत चीन सीमा पर स्थित नेलांग घाटी और ऐतिहासिक गर्तांगली व अन्य कई पर्यटक स्थल हैं। 1553 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला गंगोत्री नेशनल पार्क हिम तेंदुआ के लिए खास पहचान रखता है इसके अलावा पार्क में भूरा भालू, काला भालू, भरल, अगराली भेड़, लाल लोमड़ी सहित कई वन्यजीव विचरण करते हैं। दुनिया के पर्वतारोही भी गंगोत्री नेशनल पार्क में स्थित विश्व प्रसिद्ध चोटियों के आरोहण के लिए आते हैं। शीतकाल में 1 दिसंबर से लेकर 31 मार्च तक पार्क के गेट पर्वतारोही और सैलानियों के लिए बंद रहते हैं।

बता दें कि गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन आगामी 1 अप्रैल को पार्क के गेट खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्क के गेट खुलने पर पर्यटक गर्तांगली की सैर भी कर सकेंगे। गर्तांगली गेट पर भी पार्क की ओर से तैयारी की गई है।

गंगोत्री नेशनल पार्क में 1 अप्रैल से ट्रैकिंग से लेकर पर्यटन की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। गंगोत्री नेशनल पार्क उत्तरकाशी जिले में है। गंगोत्री हिमालय में 40 से अधिक पर्वत चोटियां हैं। गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में स्थित गोमुख तपोवन ट्रैक, केदारताल, सुंदरवन, नंदनवन, वासुकीताल, जनकताल ट्रैक के साथ गरतांग गली पर्यटकों का केंद्र है। जहां सबसे ज्यादा लोग घूमने और ट्रैक पर जाना पसंद करते हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान एक राष्ट्रीय उद्यान है। पार्क क्षेत्र 2,390 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर फैला है। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन् 1989 में की गई। जिसकी शुरूआत गोमुख से होती है। गोमुख गंगा का उद्गम स्थल है। गंगोत्री नेशनल पार्क पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन और हवाई यात्रा का स्टेशन देहरादून है। जो कि उत्तरकाशी मुख्यालय से 200 से 250 किमी के बीच है।

पशुओं की 15 प्रजातियां और पक्षियों की 150 प्रजातियों का घर

यहां से हर्षिल बस या कार से 30 किमी है। उद्यान क्षेत्र गोविंद राष्ट्रीय उद्यान और केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के बीच है। इस पार्क के उद्यान पशुओं की 15 प्रजातियां और पक्षियों की 150 प्रजातियों का घर है। इस क्षेत्र में पर्यटकों के लिए हिम तेंदुए, भूरे भालू, कस्तूरी मृग, ताहर, बाघ तथा हिमालय क्षेत्र में पाये जाने वाले कई पक्षी भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। पार्क में बुग्याल, देवदार के जंगल, ग्लेशियर, ट्रांस हिमालय, ऊंची चोटियां व पहाडिय़ों के अलावा भागीरथी, केदारगंगा, जाड़ गंगा सहित कई छोटी नदियां भी हैं। यह क्षेत्र हिम तेंदुआ की ब्रीडिंग के लिए सुरक्षित है। हिमालयी बकरी यानी भरल (ब्यू शिप) हिम तेंदुआ का मुख्य भोजन है। इनकी संख्या पार्क में बहुत अच्छी है। पार्क में आसानी से भरल के बड़े झुंड दिख जाते हैं।

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