रुद्रप्रयाग के प्रसिद्ध त्रियुगीनारायण मंदिर में पारम्परिक रीति रिवाजों के प्राचीन हरियाली मेले का आयोजन धूम धाम से मनाया गया.
केदारघाटी में शिव पार्वती विवाह स्थली त्रियुगीनारायण मंदिर (त्रियुगीनारायण मंदिर) में पौराणिक रीति रिवाजों के साथ ऐतिहासिक हरियाली मेला धूमधाम से मनाया गया .
इस मौके पर ग्रामीणों ने पारंपरिक वेशभूषा और गाजे बाजों के साथ मंदिर परिसर में सामूहिक रूप से जौ की हरियाली की पूजा अर्चना कर भगवान विष्णु को अर्पित की.
वहीं, 5 सितंबर से शुरू होने वाले तीन दिवसीय वामन द्वादशी मेले को लेकर तैयारियां भी अंतिम चरण में है.
बता दें कि हर साल धुर्बा अष्टमी को क्षेत्र की खुशहाली और विश्व कल्याण के लिए त्रियुगीनारायण में हरियाली मेले का आयोजन होता है.
ग्रामीणों ने अपने घरों में उगाई गई जौ के साथ गाजे बाजों के साथ त्रियुगीनारायण मंदिर प्रांगण पहुंचे. महिलाओं ने यहां पर भगवान नारायण और हरियाली की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा अर्चना की.
उसके बाद सभी ग्रामीणों ने एक-एक कर यह हरियाली सर्वप्रथम भगवान विष्णु को अर्पित की. इस दौरान पौराणिक गीतों और जयकारों से पूरा क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो उठा.
हरियाली मेले का ये दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा. ग्रामीणों ने पूरे गांव में घूमकर एक दूसरे को इस हरियाली को प्रसाद के रूप में वितरित किया.
ये है हरियाली मेले की मान्यता
माना जाता है कि वामन भगवान ने अवतार लेने से 4 दिन पहले माता अधिति और देव कन्याओं को अपने विराट रूप के दर्शन दिए थे.
तब उन्होंने प्रसन्न होकर भगवान को दूर्वा अष्टमी को हरियाली भेंट की थी. तब से यह हरियाली मेला मनाने की परंपरा चली आ रही है.
धर्माचार्यों की मानें तो 5 सितंबर को निसंतान दंपत्ति संताप प्राप्ति के लिए यहां एकादशी उपवास करेंगे.
इसी दिन संध्या सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने जनता से अधिक से अधिक संख्या में त्रियुगीनारायण मेले में पहुंचने का आग्रह किया.
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