देश में अब वर्तमान राजनीति में नैतिकता का पतन हो रहा है, नेताओं को पद की लालसा बढ़ गई है और सिद्धांत गुम से हो चुके हैं, लेकिन 70-80 के दशक में जो नेता होते थे उनके लिए जन सरोकारों से जुड़े मुद्दे काफी अहम हुआ करते थे | यही वजह थी कि देश के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी, हेमवती नंदन बहुगुणा से राजनीतिक मतभेद रखते थे , लेकिन जब बात हिमालय सरोकारों या किसी ज्वलंत मुद्दों की होती थी तो वे बहुगुणा की राय जरूर लेते थे।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड की कवियित्री ने किया प्रधानमंत्री की लिखी कविताओं का गढ़वाली भाषा में अनुवाद, साझा किये अपने कुछ अनुभव
जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे श्रीनगर नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी का। मैठाणी बहुगुणा और अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे हैं। वह बताते हैं कि भारतीय राजनीति में एक दौर ऐसा था, जब हेमवती नंदन बहुगुणा को भारतीय राजनीति का चाणक्य कहा जाता था। हर विषय पर उनकी मजबूत पकड़ थी।
यही वजह थी कि विरोधी भी उनके कायल हुआ करते थे। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष वाजपेयी को जब हिमालय सरोकारों और ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बात रखनी होती थी, तो वह बहुगुणा से राय जरूर लेते थे। मैठाणी बताते हैं, बहुगुणा का राजनीतिक कॅरिअर छात्र राजनीति से शुरू होकर जन सरोकारों तक रहा।
बहुगुणा अपनी ही सरकार के खिलाफ कुछ मुद्दों को लेकर हो जाते थे खड़े
सिद्धांतों से समझौता न करने और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मतभेदों के चलते संसद की सदस्यता से त्यागपत्र देने में भी उन्होंने देर नहीं की, लेकिन अपने राजनीतिक विरोधियों को भी समय आने पर मदद करने में भी वो पीछे नहीं रहे।