प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों में से एकमात्र आरक्षित अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर दो चिर प्रतिद्वंद्वियों अजय टम्टा और प्रदीप टम्टा समेत सात प्रत्याशी मैदान में हैं। आश्चर्यजनक रूप से इस बार मतदाता बेहद खामोश है और चुनाव को लेकर भी कोई प्रतिक्रिया चौक, चौराहे और चाय की दुकानों पर व्यक्त नहीं कर रहा है। सबसे कम मतदाताओं वाली इस सीट पर प्रत्याशियों के सामने जनता के कई पुराने मुद्दे हैं, जिनसे प्रत्याशियों को पार पाना होगा। जीतेगा वही होगा जो वोटर के दरवाजे पर पहुंचेगा और समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिलाने में कामयाब होगा। ऐसी स्थिति में संगठन और जुझारू कार्यकर्ताओं की मेहनत ही जीत की गारंटी होगी।
भाजपा ने पिछले दो चुनाव जीत रहे पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा पर दांव लगाया है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा पर भरोसा जताया है। अजय टम्टा दो बार से यहां सांसद हैं। लिहाजा, उनके लिए चुनौतियां ज्यादा बड़ी होंगी। उन्हें जनता से किए पुराने वादों का हिसाब देने के साथ ही किए हुए काम भी गिनाने पड़ रहे हैं। अजय टम्टा और उनके समर्थकों को भरोसा है कि इस बार भी मोदी मैजिक और डबल इंजन की सरकार के सहारे उनकी जीत तय है। भाजपा और संघ का मजबूत संगठन भी उनके लिए जीत की पटकथा लिखने की कोशिश में जुटा है। प्रचार के मामले में अजय टम्टा कांग्रेस के प्रदीप टम्टा से 20 पड़ रहे हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उनके समर्थन में यहां रैलियां कर चुके हैं। इसके उलट प्रदीप टम्टा को हरीश रावत का सहारा था लेकिन उन्होंने भी पिछले दिनों इस सीट के मतदाताओं से कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में मतदान की अपील करते हुए यहां आने में असमर्थता जता दी है। ऐसे में प्रदीप टम्टा को पिछले दिनों रामनगर में हुई प्रियंका की रैली ने थोड़ा सहारा दिया है।