आज से 49 साल पहले उत्तराखंड के चमोली जिले में जंगलों को कटने से बचाने के लिए आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन की सबसे खास बात यह थी कि इसमें महिलाओं ने भारी संख्या में भाग लिया था. यह आंदोलन 26 मार्च 1973 को शुरू हुआ था. इस आंदोलन का मकसद व्यवसाय के लिए हो रही वनों की कटाई को रोकना था जब स्थानीय महिलाओं के समूह ने इसके लिए पेड़ों पर चिपक कर अपना विरोध प्रदर्शन किया तो देशभर में हलचल मच गई इस आंदोलन के जरिए स्थानीय लोग वन विभाग के ठेकेदारों द्वारा कटाई का विरोध कर पेड़ों पर अपना परंपरागत अधिकार जता रहे थे.
इस आंदोलन की शुरुआत चंडी प्रसाद भट्ट और गौरा देवी की ओर से की गई थी. इसके बाद भारत के प्रसिद्ध सुंदरलाल बहुगुणा ने आगे इसका नेतृत्व किया. आज भी चमोली के रैणी गांव में रहने वाले लोग अपने जंगल को बचाने के लिए वही जुनून और जज्बा रखते हैं.
आज के इस खास मौके पर उत्तराखंड के भावी सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट के जरिए तमाम महिलाओं को नमन किया है. उन्होंने लिखा कि चिपको आंदोलन की 49वीं वर्षगांठ पर पर्यावरण आंदोलनकारियों को शत्-शत् नमन. आंदोलन के दौरान स्व. गौरा देवी जी, स्व. सुन्दरलाल बहुगुणा जी, श्री चण्डी प्रसाद भट्ट जी और अन्य आंदोलनकारियों द्वारा किये गए कार्य आज भी हम सभी के लिए पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में प्रेरणा स्तंभ हैं ।
सोनिया साह
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