उत्तराखंड से कोरोना का हैरान करने वाला मामला, 1 महीने से ठीक नहीं हो रहा कोरोना का मरीज

May 9, 2020 | samvaad365

उत्तराखंड में कोरोना के मरीज जल्द ठीक होकर घर की तरफ लौैट रहे हैं लेकिन हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में कोरोना वायरस का एक नया ही रूप देखने को मिला है. यहां कोरोना पॉजीटिव एक मरीज करीब एक महीने से ठीक नहीं हो पाया है. उसकी 10 बार उसकी सैंपल जांच की जा चुकी है.पर मरीज के शरीर में कोरोना वायरस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. इतने लंबे समय तक शरीर में वायरस होने के बावजूद युवक बाहरी रूप से पूरी तरह स्वस्थ्य है. डॉक्टर भी इस बात पर हैंरान हैं. आठ अप्रैल को हल्द्वानी के वनभूलपुरा का 35 साल का युवक कोरोना पॉजीटिव पाया गया था.हल्द्वानी के डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कर इसका उपचार चल रहा था.

युवक के साथी पॉजीटिव लोग ठीक हो गए

युवक के साथ चार अन्य लोग भी पॉजीटिव पाए गए थे। पर सभी 14 से 18 दिनों के भीतर ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं। पर इस युवक के शरीर में वायरस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। शुक्रवार को युवक को अस्पताल में भर्ती हुए पूरे एक महीने का समय पूरा हो गया। डॉक्टरों के अनुसार युवक की जांच लगातार पॉजीटिव आ रही है। 30 दिनों तक शरीर में वायरस की मौजूदगी है। पर मरीज के शरीर पर वायरस का असर नहीं है।

30 दिन बाद भी युवक से खत्म नहीं हुआ कोरोना

अस्पताल के एमएस डॉ. अरूण जोशी के अनुसार 30 दिन बाद भी युवक के भीतर कोरोना वायरस से ग्रसित होने का कोई गंभीर लक्ष्ण नहीं है। यह लगभग एसिम्टोमैटिक प्रकार है। पर सैंपल टेस्ट बता रहे हैं कि शरीर के भीतर वायरस खत्म भी नहीं हो रहा। संभवता युवक के शरीर में वायरस लोड ज्यादा है,पर हैरानी की बात यह कि वायरस अपना असर भी नहीं दिखा रहा है। यदि वायरस बढ़ता तो युवक की तबियत बिगड़ सकती थी पर ऐसा भी नहीं हो रहा। जबकि युवक जिन लोगों के जरिए संक्रमित हुआ था वह काफी जल्दी स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज भी हो चुके हैं।

45 दिन में ठीक होने का रिकॉर्ड

देश में कोरोना के मरीजों के सबसे देर में ठीक होने का रिकॉर्ड 45 दिनों का है। केरल में 70 साल के एक बुजुर्ग ने इतने लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहते हुए कोरोना के खिलाफ यह जंग जीती थी. हालांकि इतने अधिक समय तक संक्रमित रहने के मामले काफी कम हैं. मरीज की लगातार दो रिपोर्ट नेगेटिव होने पर ही शरीर में कोरोना वायरस खत्म होना माना जाता है.

अमित गुसांई/संवाद365

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