नैनीताल का नैना देवी मंदिर क्यों है इतना खास; यहां गिरी थी देवी सती की बांई आंख

April 14, 2024 | samvaad365

नैनीताल। सरोवर नगरी का प्रसिद्ध नयना देवी मंदिर स्थानीय लोगों सहित पर्यटकों की आस्था का केंद्र है। मंदिर के गंर्भग्रह में स्थापित मां नयना की मूर्ति के दर्शन से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है।

यह है मंदिर का इतिहास

पुराणों के अनुसार अत्री, पुलस्त्य, पुलह ऋषियों ने इस घाटी में तपस्या करते हुए तपोबल से कैलास मानसरोवर झील का पानी खींचा, इसलिए नैनी झील को मानसरोवर की तरह पवित्र माना गया। झील किनारे स्थित मां नयना देवी का मंदिर को देश के 51 शक्तिपीठों की मान्यता प्राप्त है।

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नैनीताल में देवी सती की बांई आंख गिरी

वर्णित है कि देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। इससे खिन्न होकर देवी सती ने शिव की पत्नी बनने की कामना के साथ ही यज्ञ कुंड में प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। इस घटना से दु:खी होकर शिव देवी सती का पार्थिव शरीर कंधे पर टांगे ब्रह्मांड में भटकने लगे। सृष्टि का संतुलन बिगड़ने से तीनों लोक में हाहाकार मच गया। जिसके बाद सृष्टि के संरक्षक भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के खंड-खंड कर दिए। सती के शरीर के अंश जहां-जहां गिरे वहां शक्तिपीठ बन गए। नैनीताल में देवी सती की बांई आंख गिरी, जो एक रमणिक सरोवर के रूप में रूपांतरित हो गई।

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मंदिर की स्थापना

19 शताब्दी में नैनीताल की खोज के बाद शहर के प्रमुख व्यवसायी मोती राम साह ने सरोवर किनारे मां नयना देवी का मंदिर बनाया। यह मंदिर बोट हाउस क्लब व कैपिटल सिनेमा के मध्य था। 1880 के भूस्खलन में मंदिर नष्ट हो गया। बताया जाता है कि मां नयना देवी ने मोती राम साह के पुत्र अमरनाथ साह को स्वप्न में वह स्थान बताया, जहां मूर्ति दबी पड़ी थी। साह ने बिरादरों व मित्रों के साथ मूर्ति का उद्धार कर नए सिरे से मंदिर का निर्माण किया। वर्तमान मंदिर 1883 में बनकर पूरा हुआ। 21 जुलाई 1984 को मां नयना देवी मंदिर अमर-उदय ट्रस्ट का गठन किया गया, जिसके बाद से मंदिर की व्यवस्था ट्रस्ट के अधीन आ गई।

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ऐसे पहुंचे नयना मंदिर

नयना देवी मंदिर पहुंचने के लिए रोडवेज या टैक्सी से नैनीताल आकर पैदल या टैक्सी से मल्लीताल मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। कालाढूंगी मार्ग से मल्लीताल फ्लैट्स पार्किंग में वाहन पार्क कर आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है। मंदिर परिसर में नयना देवी मंदिर के अतिरिक्त बजरंग बली सहित अन्य मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

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