देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रायपुर, देहरादून में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, उत्तराखण्ड के लोकार्पण के अवसर पर मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि 2017 में सरकार बनने के बाद से ही हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ हमने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनायी। सचिवालय एवं मुख्यमंत्री कार्यालय को हमने भ्रष्ट व माफिया तत्वों से मुक्त किया है। कार्यों की पारदर्शिता के लिए कार्यों का ऑडिट होना जरूरी है। आवश्यकता पड़ने पर थर्ड पार्टी ऑडिट होना चाहिए। सरकार के प्रति जनता का विश्वास होना जरूरी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि चावल घोटाले का जो मसला है, वह वर्ष 2016-17 की तत्कालीन सरकार के समय का मामला है। भाजपा सरकार बनने के बाद हमने इस मामले की जांच करवाई। केवल कागजों में राशन दिखाई जा रही थी, जरूरतमंदों तक राशन पहुंचती नहीं थी। आज गरीबों को जो राशन मिल रही है, वह उच्च गुणवत्ता की राशन है। प्रधानमंत्री का आह्वाहन रहता है कि हमारी नजर गरीबों पर होनी चाहिए। जब तक गरीबों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा, तब तक देश का उत्थान नहीं हो सकता। लोक सेवा आयोग से पीएस की भर्ती के लिए प्रक्रिया चल रही है। लोक सेवा आयोग में अधिक वर्कलोड होने के कारण भर्ती प्रक्रिया मे समय अधिक लगता है। लोक सेवा आयोग को भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा गया है। कोविड-19 की वजह से भी भर्ती प्रक्रिया में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की गतिविधियों के बेहतर क्रियान्वयन के उपायों को सुझाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री कार्यालय में एक प्रकोष्ठ गठन किया गया है। इस प्रकोष्ठ में अध्यक्ष के रूप में पलायन आयोग, उत्तराखण्ड के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी, सदस्य के रूप में हार्क (HARC ) संस्था से महेन्द्र सिंह कुँवर एवं मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट शामिल हैं।
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