रूद्रप्रयाग जनपद में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए राम राज्य जैसी स्थिति आई हुई है। यहां सरकारी कार्यालयों में अधिकारी कर्मचारियों की मनमानी से तो यही लग रहा है कि इन्हें जनता से कोई सरोकार नहीं है। आने वाले दो दिन अवकाश के है लेकिन अधिकारी-कर्मचारी एक दिन पहलेे ही कैसे गायब हो गए हैं इसकी हकीकत इस रियालटी चेक में आप देख सकते हैं।
सबसे पहले हमारी टीम रूद्रप्रयाग के पीएमजीएसवाई कार्यालय पहुँचे जहाँ हमें पूरे कार्यालय में केवल चार कर्मचारी उपस्थित मिले। जबकि उसके बाद जब हमारी टीम रूद्रप्रयाग के 40 से अधिक विभागों वाले विकास भवन पहुँची तो विभाग भवन किसी भूत बंगले से कम नहीं लग रहा था। कमोबेश दफ्तरों में एककाद कर्मचारियों को छोड़ कुर्सीयां खाली नजर आ रही थी। ड्यूटी टाइम पर भी विकास भवन का सन्नाटा इस बात की गवाही दे रहा था कि यहाँ नौकरशाहों की मानमानी कैसे हावी है। यह पहली बार नहीं हुआ है जब सरकारी अधिकारी कर्मचारी अपने दफ्तरों से गायब रहते हैं बल्कि जब भी दूसरा शनिवार आता है या फिर अवकाश का दिन रहता है तो उससे दो दिन पूर्व ही रूद्रप्रयाग के विभागों में यही स्थिति बनी रहती है। हालांकि कई विभागों में अधिकारी छुट्टी लेकर गए हैं लेकिन सवाल इस बात का भी है कि आखिर एक ही दिन में जिले के सारे विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को एक साथ छुट्टी कैसे दी गई है? वहीं कई अधिकारी कर्मचारी बिना छुट्टी के ही गायब हैं तो कई हाजिर लगाने के बाद अपने कार्यालयों से नो-दो-ग्यारह हो गए।
दरअसल रूद्रप्रयाग में अधिकारी कर्मचारियों की इस तरह की गैरजिम्मेदारी और मनमानी की वजह से दूर-दराज से आये ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोग अपने विभागीय कार्यों को करवाने के लिए भारी-भरकम खर्च कर यहां पहुंचे हैं लेकिन विभागों में संबंधित अधिकारियों के न मिलने से उन्हें बैंरंग लौटना पड़ता है। जनता के प्रति ऐसे लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों के विरूद्ध उच्चाधिकारी आखिर क्यों संज्ञान नहीं लेते हैं यह तो समझ से परे है लेकिन नौकरशाही के इस मानमौजी रवैये से रूद्रप्रयाग की प्रशासनिक व्यवस्था पर जरूर गम्भीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
(संवाद 365/कुलदीप राणा आजाद)
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