प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित 1000 से ज्यादा बच्चों की मां जिन्हें लोग महाराष्ट्र की मदर टेरेसा सिंधुताई सपकाल से जानते थे आज हमारे बीच नहीं है पुणे में दिल का दौरा पड़ने से सिंधुताई सपकाल का निधन हो गया। सिंधुताई ने पुणे के ग्लैक्सी अस्पताल में मंगलवार को अंतिम सांस ली।सिंधुताई के निधन पर देश के राष्ट्रपति , पीएम मोदी समेत कई राजनेताओं ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी । आगे पढ़ें उनकी कहानी …………………………
The life of Dr Sindhutai Sapkal was an inspiring saga of courage, dedication and service. She loved & served orphaned, tribals and marginalised people. Conferred with Padma Shri in 2021, she scripted her own story with incredible grit. Condolences to her family and followers. pic.twitter.com/vGgIHDl1Xe
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 4, 2022
Dr. Sindhutai Sapkal will be remembered for her noble service to society. Due to her efforts, many children could lead a better quality of life. She also did a lot of work among marginalised communities. Pained by her demise. Condolences to her family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/nPhMtKOeZ4
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2022
सिंधुताई कोई साधारण महिला नहीं थी दरसल मूलरूप से महाराष्ट्र के वरधा जिले में 1948 में जन्मी सिंधुताई सपकाल को लोग बचपन में ‘चिंदी’ कहकर पुकारते थे । आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण सिंधुताई का 9 साल में बाल विवाह हो गया । वहीं जब वो गर्भवती हुई तो झूठे आरोप को सच मानकर उनके पति ने उन्हें घर से निकाल दिया. यही से शुरू हुई सिंधुताई की असल कहानी । सिंधुताई ने एक इंटरव्यू में बताया कि गर्भवास्था में उन्हें पशुओं के बाड़े में अपनी बेटी को जम्म दिया । जिंदगी गुजर बसर करने के लिए सिंधुताई ने रेलवे स्टेशनों में भीख मांगकर गुजारा किया । दिन में वो रेलवे स्टोशन रहती और रात में शमशान घाट में जाकर सो जाती । इस तरह कई दिन बीतने के बाद सिंधुताई ने एक दिन हर उस गरीब अनाथ का नाथ बनने की ठानी जिसका कोई सहारा नहीं और इस प्रकार सिंधु ताई ने अपनी बेटी को एक ट्रस्ट को देकर कई बच्चों को गोद लिया ।
बच्चो को गोद लेने का ये सिलसिला चलता गया और आज सिंधु ताई कई बच्चो की मां है । उनके परिवार में आज 382 से ज्यादा दामाद और 40 से ज्यादा बहुएं हैं । अपने सामाजिक कार्यों के चलते केवल चौथीं कक्षा तक पढ़ी सिंधुताई को डी वाई इंस्टिटूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च पुणे की तरफ से डाक्टरेट की उपाधि भी मिल चुकी है। उनके जीवन पर मराठी फिल्म मी सिंधुताई सपकल बनी है जो साल 2010 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म को 54वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाया जा चुका है। इसके साथ ही सिंधुताई कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर स्पेशल एपिसोड में भी नजर आ चुकी है । उनके सामाजिक कामों के लिए उन्हें पद्मश्री समेत 500 से अधिक सम्मानों से नवाजा गया है । आज महाराष्ट्र में उनकी 6 बड़ी समाजसेवी संस्थाएं चल रही हैं. जिनमें बेसहारा बच्चों के साथ-साथ विधवा महिलाओं को भी आसरा मिल रहा है । अपनी पूरी जिंदगी अनाथ बच्चों की सेवा में गुजारने वाली हजारों बच्चो की मां के चले जाने से आज हर आंख नम है । भले ही सिंधुताई अब हमें कभी नहीं दिखाई देंगी लेकिन उनके सामाजिक काम , कई अनाथ बच्चों को दी जिंदगी …..ये कहानी हमेशा अमर रहेगी ।
संवाद365,डेस्क