कौशांबी: इक्यावन शक्तिपीठों में से एक माँ शीतला धाम में आषाढ़ मेले का आगाज़

June 25, 2019 | samvaad365

कौशांबी: इक्यावन शक्तिपीठों में से एक माँ शीतलाधाम में आषाढ़ मेले की शुरुआत हो गई। शनिवार से शुरू हुआ सात दिवसीय आषाढ़ मेला शुक्रवार तक चलेगा। इस दौरान पूर्वांचल के दर्जनों जिले से हजारों भक्त माँ के दरबार में हाजरी लगाने पहुंचने लगे हैं। माँ के दरबार पहुंचे श्रद्धालु विशेष रूप से हलवा-पूड़ी का प्रसाद चढ़ा कर पूजन करते हैं।

शक्तिपीठ माँ शीतलाधाम में हर वर्ष आषाढ़ महीने की सप्तमी-अष्टमी को विशेष मेला लगता है। सात दिवसीय इस मेले में पूर्वाचल के सभी जिलों के अलावा देश के विभिन्न प्रान्तों से श्रद्धालु माँ के दर्शन पूजन के लिए आते हैं। मान्यता है कि माँ के दरबार में जो श्रद्धालु बसियौरा (रात्रि में बनाया गया पूड़ी-हलवा) श्रद्धा के साथ चढ़ाता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है। शक्तिपीठ माँ शीतला देवी को पुत्र देने वाली देवी भी कहा जाता है। जो भक्त शीतल कुंड को जल, दूध, फल व मेवे से भरवाता है उसे मनोवांछित फल मिलता है। माँ के दर्शन करने बलिया से आये शरद पांडेय का कहना है कि वह अपने सभी काम छोड़कर माँ के दर्शन करने अपने पूरे परिवार के साथ आषाढ़ महीने में जरूर आते हैं। इससे उन्हें व उनके परिवार को मन की शांति के साथ सभी मनोकामनाएं फलीभूत होते हैं।

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वाराणसी से मां के दर्शन करने पहुंची कांति वर्मा का कहना है कि माँ के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। शक्तिपीठ शीतलाधाम के तीर्थ पुरोहित पंडित राम किंकर पंडा बताते हैं कि देवी सती का दाहिना कर (पंजा) यहां गिरा था, जो आज भी कुंड में विराजमान है। कुंड से हमेशा शीतल जल निकलता रहता है। इसी शीतल जल को ग्रहण करने से माँ के भक्तों के सभी दुःख दूर हो जाते हैं।  शीतला माँ के दर्शन करने वाले भक्तों के अंदर श्रद्धा व आस्था इतनी अधिक भरी हुई है कि वह सैंकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा करते हुए अपने कंधे पर  पालना व निशान रखकर शीतलाधाम पहुंचते हैं। सैंकड़ों किमी पैदल यात्रा कर सप्तमी की शाम माँ के धाम पहुँचने वाले श्रद्धालु अष्टमी की सुबह मंदिर में पालना व निशान चढ़ाते हैं।

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संवाद365/नितिन अग्रहरि

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