कौशांबी: रामलला के भव्य मंदिर की नींव में कड़ाधाम की माटी और पवित्र कुंड के जल का होगा प्रयोग

July 28, 2020 | samvaad365

कौशांबी: अयोध्या में प्रस्तावित रामलला के मंदिर निर्माण की नींव में इक्यावन शक्तिपीठ माता शीतला कड़ा धाम की मिट्टी एवं मंदिर में स्थित पवित्र कुण्ड के जल का प्रयोग किया जाएगा। विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर तीर्थ पुरोहितों का एक जत्था मिट्टी व जल लेकर जाएंगे। अयोध्या पहुंचकर पवित्र जल और मिट्टी से भरे कलश को राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय को सौंपा जाएगा। जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ होगा तो मिट्टी व जल का इस्तेमाल किया जाएगा। फिलहाल कड़ा धाम की मिट्टी व जल राम मंदिर निर्माण में शामिल किए जाने की खुशी से धाम के अलावा जनपदवासी फुले नहीं समा रहे हैं। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष शारदा प्रसाद पंडा ने बताया कि जब माता सती ने अग्नि समाधि ली थी तो भगवान भोलेनाथ उनकी लाश को लेकर ब्रह्मंड भाग रहे थे। यहां पर माता सती के दाहिने हाथ का कण गिरा था। कड़ा धाम 51 शक्तिपीठों में शुमार है। विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर माता जी के कुंड से जल व मिट्टी लेकर अयोध्या के लिए जाया जा रहा है।

दरअसल, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्री राम के मन्दिर का शिलान्यास करेंगे। जिसमें पूरे भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों की पवित्र मिट्टी एवं नदियों के जल नींव में प्रयोग किया जाएगा। इसी क्रम में करोड़ों लोगों के आस्था का केंद्र बिन्दू प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल कड़ा धाम जहाँ पूरे भारत से लाखों तीर्थ यात्री सालभर तीर्थटन के लिए आते रहते हैं। यहां के तीर्थ पुरोहितों ने एक कलश में पवित्र जल तथा दूसरे कलश में मिट्टी भरकर अयोध्या के लिए एक जत्था रवाना हो रहा है। जहाँ वे “रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र” ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय को मिट्टी एवं जल सौंपेगे। रामजन्म भूमि को लेकर कई दशकों तक विववाद चलता रहा है। जिसमे सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ है। इस आंदोलन में यहाँ के कई बुजुर्ग अपने युवास्था में इस आंदोलन से गहराई से जुड़े थे। शिलान्यास की तारीख की घोषणा के बाद इन बुजुर्गों में नई उत्साह का संचार हुआ है। राम मंदिर आंदोलन को याद करते हुए जगत प्रसाद पण्डा भावुक होते हुए कहते हैं, होने वाला राम मन्दिर निर्माण दशकों के संघर्ष का परिणाम है, युवावस्था में अपने दर्जनों साथियों के साथ केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर शासन प्रशासन की बन्दिशों को धता बताते हुए, पैदल ही कारसेवा के लिए निकल पड़े रास्ते में हाथ जोड़कर लिफ्ट लिया करीब 170 किमी पैदल चले दो दिन भूखे रहे और जब अयोध्या पहुंचे तो पुलिस की लाठियाँ खायीं लेकिन संकल्प नही डगमगाया लाख दुश्वारियों के बाद भी हौसला आसमान को छू रहा था,जब भगवान श्री राम का मंदिर बन रहा है तो मन को संतोष है, कि जवानी का संघर्ष फलीभूत हो रहा है।अवसर पर तीर्थ पुरोहितों के साथ धाम वासियों में विशेष उत्साह दिखाई दिया। जिससे पूरा माहौल जय श्री राम के नारों से गूंज उठा।

https://youtu.be/6mtT8fUEfhQ

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 संवाद365/नितिन अग्रहरि

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